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भाजपा गोरखपुर से रविकिशन पर लगा सकती है दांव!

गोरखपुर। इवीएम मशीनों की खेप पहुंचते ही यूपी के गोरखपुर में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गयी हैं। मुख्यमंत्री योगी और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के सीट छोड़ने के बाद गोरखपुर एवं फूलपुर लोकसभा में 22 मार्च से पहले उपचुनाव होने हैं। गोरखपुर में उम्मीदवारों के नामों पर अटकलों का बाजार गर्म है। इन अटकलों में नया नाम उभर कर सामने आ रहा है।

ब्राह्मण चेहरे से वोट बैंक मजबूत बनाने में होगा इजाफा

रविकिशन इससे पहले कांग्रेस में थे और पिछली बार जौनपुर लोकसभा से कांग्रेस के उम्मीदवार थे, जहां उन्हें शिकस्त मिली थी। बीजेपी में उन्हें लाने का श्रेय अभिनेता से नेता बने दिल्ली के भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी को जाता है। रविकिशन से जब इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी का अगर आशीर्वाद मिलता है तो वह जरूर चुनाव लड़ना चाहेंगे। सूत्रों के अनुसार रविकिशन की दावेदारी मजबूत बताई जा रही है। गौर करने वाली बात यह है कि आजादी के बाद से गोरखपुर लोकसभा पर गोरखनाथ मंदिर से जुड़े महंतो का आधिपत्य रहा है। योगी के जाने के बाद से गोरखपुर की राजनीति में शून्यता आ गयी है और उनके टक्कर का या उनके आसपास भी बीजेपी का कोई भी नेता गोरखपुर में दिखाई नहीं पड़ता, जिसे उम्मीदवार बनाया जा सके।

रविकिशन को उतार कर बीजेपी एक चेहरे से कई समीकरणों को साधने की फ़िराक में है। पहला समीकरण यह है कि रविकिशन भोजपुरी अभिनेता है और गोरखपुर भोजपुरी पट्टी के सबसे अहम ज़िलों में से एक है। दूसरा सबसे मजबूत पक्ष रविकिशन के साथ यह है कि वह लोकप्रियता के पैमाने पर भी फिट बैठते हैं और गोरखपुर में बीजेपी को अभी एक लोकप्रिय चेहरे की जरूरत है। तीसरी सबसे बड़ी वजह रविकिशन की दावेदारी मजबूत होने की यह है कि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही वहां ब्राह्मण एवं बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी के यहां पुलिस ने छापा मारा था। जिसकी वजह से ब्राह्मण वोटों के छिटकने का संशय है। इसके काट रूप में भी रवि किशन फायदेमंद हो सकते हैं, क्योंकि रविकिशन का पूरा नाम रविकिशन तिवारी है और ब्राह्मण चेहरे के रूप में वो ब्राह्मण वोटरो को लुभा सकते हैं।

मंदिर और तिवारी हाता के बीच यह अदावत सालों से चली आ रही है और इस बार अगर ब्राह्मण चेहरा बीजेपी नहीं उतारती है तो उसके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। रवि किशन इन तीनों पैमाने पर खरे उतरते है और आज वह गोरखपुर में अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए गोरखपुर महोत्सव में उपस्थित रहेंगे। रविकिशन के अलावा उम्मीदवार के रूप में उपेन्द्र शुक्ल के नाम की भी चर्चा जारी है जो बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं।

गौर करने वाली बात यह है कि गोरखपुर से भोजपुरी फिल्मी दुनिया का जुड़ाव पहले से ही रहा है। 2009 में गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से मनोज तिवारी भी अपना हाथ आजमा चुके है। यह बात और है कि तब वो सपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और उनके सामने योगी आदित्यनाथ जैसा मजबूत चेहरा था। देखना दिलचश्प होगा कि बीजेपी अध्यात्म और मनोरंजन को एक साथ कैसे कर पाती है।

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