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सर्दियों में अपने “Heart” का रखे खास ख्याल

सर्दियों के मौसम में हार्ट फेल होने वाले मरीजों की संख्या में अधिकता देखी गई है। इसा मौसम में लोग अपने Heart (दिल) का ख्याल कैसे रखें, इसके लिए चिकित्सकों ने कुछ उपाय सुझाए हैं।

करें दिल को सेहतमंद रखने वाली एक्सरसाइज

हार्ट विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दियों के मौसम में दिल की बीमारी से ग्रसित मरीजों और उनके परिवारवालों को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। हार्ट फेलियर मरीजों की जिंदगी में उल्लेखनीय रूप से सुधार लाया जा सकता है। ऐसे मरीजों को डॉक्टर से सलाह लेकर घर के अंदर दिल को सेहतमंद रखने वाली एक्सरसाइज करने चाहिए। नमक और पानी की मात्रा कम कर दें,क्योंकि सर्दी के दिनों में पसीना नहीं निकलता है। रक्तचाप की जांच कराते रहें, ठंड की परेशानियों जैसे-कफ, कोल्ड, फ्लू आदि से खुद को बचाए रखें और जब आप घर पर हों तो धूप लेकर या फिर गर्म पानी की बोतल से खुद को गर्म रखें।

हृदय को शरीर में खून और ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए अतिरिक्त श्रम

हार्ट फेलियर वाली स्थिति तब होती है, जब हृदय शरीर की आवश्यकता के अनुसार ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त खून पंप नहीं कर पाता है। इसकी वजह से हृदय कमजोर हो जाता है या समय के साथ हृदय की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं। ठंड के मौसम में तापमान कम हो जाता है, जिससे ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाते हैं। इसकी वजह शरीर में खून का संचार अवरोधित होता है। इससे हृदय तक ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है, जिसका अर्थ है कि हृदय को शरीर में खून और ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए अतिरिक्त श्रम करना पड़ता है। इसी वजह से ठंड के मौसम में हार्ट फेलियर मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने का खतरा बढ़ जाता है।

कैटीकोलामाइन हॉर्मेन का स्राव बढ़ता है उच्च रक्तचाप

सर्दी के मौसम में शारीरिक कार्यप्रणाली पर प्रभाव पड़ सकता है। जैसे सिम्पैथिक नर्वस सिस्टम सक्रिय हो सकता है और कैटीकोलामाइन हॉर्मेन का स्राव होता है। इसकी वजह से हृदय गति के बढ़ने के साथ रक्तचाप उच्च हो सकता है और रक्त वाहिकाओं की प्रतिक्रिया कम हो सकती है। जिससे हृदय को अतिरिक्त काम करना पड़ता है।

छाती में संक्रमण का खतरा

ठंड के मौसम में धुंध और प्रदूषण जमीन के और करीब आकर बैठ जाते हैं। जिससे छाती में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और सांस लेने में परेशानी पैदा होती है। आमतौर पर हार्ट के मरीज सांस लेने में तकलीफ का अनुभव करते हैं और प्रदूषण उन लक्षणों को और गंभीर बना देते हैं।

विटामिन-डी हृदय में स्कार टिशूज को

इस मौसम में धूप ज्यादा ना निकलने के कारण सूरज की रोशनी से मिलने वाला विटामिन-डी जो हृदय में स्कार टिशूज को बनने से रोकता है,शरीर को प्रचुर मात्रा मेंनहीं मिल पाता है। सर्दियों के मौसम में सही मात्रा में धूप नहीं मिलने से विटामिन-डी का स्तर कम हो जाता है, जिससे हार्ट फेल का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में खासतौर से दिल के रोगियों को अपने खाने में विटामिन-डी के स्रोत जैसे अंडा,मशरूम,चीज़,दूध,मछली आदि का सेवन बढ़ा देना चाहिए।

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