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55 साल बाद भी Assembly नहीं पहुंची कोई महिला प्रतिनिधि

नगालैंड। देश के पूर्वोत्तर राज्यों में Assembly चुनाव के परिणाम सामने आ चुके हैं। जिसमें लोग अब बदलाव की उम्मीद लगा रहे हैं। एक ओर जहां त्रिपुरा में लोगों ने जमकर भाजपा का समर्थन किया। वहीं नागालैंड में पिछले 55 वर्षों का रिकार्ड अभी तक नहीं टूटा है। यहां पर चुनाव में इस बार 5 महिलाओं ने अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन किसी को भी सफलता नहीं मिली। नगालैंड के इतिहास में विधानसभा चुनाव में आज तक कोई महिला विधायक नहीं बन सकी है। महिलाओं की स्थिति में बेहतर सुधार की जरूरत है। नगालैंड में महिलाओं की साक्षरता दर राष्ट्रीय साक्षरता दर से कहीं ज्यादा है। देश में महिलाओं की साक्षरता दर 65 फीसदी है।

  • वहीं नगालैंड की महिलाओं की साक्षरता दर 76 फीसदी है।
  • 2016 की एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 23.5 फीसदी महिलाएं सरकारी नौकरी में हैं।
  • जबकि 49 फीसदी निजी सेक्टर में कार्यरत हैं।

लोकसभा पहुंची थी रामो एम जबकि Assembly में शून्य

नगालैंड में अब तक कोई महिला विधानसभा में तो नहीं पहुंची सकी है, लेकिन 1977 में रामो एम ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। जिससे वह लोकसभा पहुंचने वाली नागालैंड की पहली महिला हैं। लेकिन उनके बाद अब तक कोई भी महिला न लोकसभा में पहुंच सकी और न ही विधानसभा में पहुंची है।

  • जबकि अब तक 30 महिलाओं ने नामिनेशन किया है।

नागालैंड के पूर्व शिक्षामंत्री की बेटी अवान ने इशाक को दिया टक्कर

नागालैंड के पूर्व शिक्षा मंत्रीटीअवानने न्येईवांग कोनयक की बेटी और दिल्ली यूनिवर्सिटी से लिंग्विस्टिक्स में एमए करने वाली अवान ने एनपीएफ के उम्मीदवार इशाक कोंयाक को कड़ी टक्कर भी दी। उन्होंने चुनाव में 5,131 वोट हासिल किए। जबकि उनके प्रतिद्धंदी इशाक ने 6,036 मत हासिल किये।

  • वहीं नोटा पर 43 वोट पड़े। इसके साथ मैदान में 4 अन्य महिलाएं भी थी।
  • बीजेपी स्टेट वाइस प्रेसिडेंट राखिला 4 उम्मीदवारों में तीसरे नंबर पर रहीं।
  • उन्होंने 2,749 मत हासिल किये।

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