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​Vijay Mallya: प्रत्यर्पण के लिए सीबीआई के सबूतों को ब्रिटिश अदालत की मंजूरी

Vijay Mallya के प्रत्यर्पण को लेकर सीबीआई के सबूतों को ब्रिटिश अदालत ने स्वीकार कर लिया है। ​दरअसल माल्या पर एसबीआई समेत कई बड़े बैंकों का 9,000 करोड़ रुपए बकाया है। इसमें विजय माल्या के स्वामित्व वाली किंगफिशर एयरलाइंस पर 17 बैंकों का 6963 करोड़ रुपए का कर्ज है। पिछले साल अप्रैल में स्कॉटलैंड यार्ड की ओर से प्रत्यर्पण वारंट पर अपनी गिरफ्तारी के बाद से वह 6,50,000 पाउंड की जमानत पर है। इसके साथ शुक्रवार को लंदन में वेस्टमीनिस्टर मजिस्ट्रेट की सुनवाई के दौरान अदालत ने भारतीय अधिकारियों के सारे साक्ष्यों को स्वीकार कर लिया है। जिसमें कोर्ट की अगली सुनवाई ​अब 11 जुलाई को होगी।

  • किंगफिशर एयरलांइस के मालिक विजय माल्या के प्रत्यर्पण के मामले में सीबीआई ने ब्रिटिश कोर्ट से कहा है कि भारत में इस भगोड़े के लिए काल कोठरी तैयार है जो यूरोपीय स्‍टैंडर्ड पर खरी उतरती है।
  • माल्या की कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस को 2012 में बंद कर दिया गया था और 2014 में फ्लाइंग परमिट भी रद्द किया गया था।

Vijay Mallya ने कहा ‘अदालत में एक और दिन’

विजय माल्या सुनवाई के मामले में अदालत आया था। अदालत ने सीबीआई की सभी दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि भारतीय अधिकारियों की ओर से सौंपे गए बहुत सारे साक्ष्य स्वीकार किए जाएंगे। जिससे मामले की स्थितियां स्पष्ट हो सकेंगी। माल्या ने स्थानीय वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत के बाहर पत्रकारों से कहा ‘अदालत में एक और दिन।’ आज की सुनवाई ऐसे समय में हुई जब प्रत्यर्पण पर वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत के एक पिछले फैसले के खिलाफ भारत सरकार की ओर से उच्च न्यायालय में की गई अपील नकार दी गई थी। वर्ष 2000 में दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान हैंसी क्रोन्ये से जुड़े मैच फिक्सिंग मामले में अहम आरोपी और भारत में वांछित संजीव कुमार चावला को दिल्ली के तिहाड़ जेल की गंभीर स्थितियों के मुद्दे पर मानवाधिकारों के आधार पर पिछले साल अक्तूबर में आरोपमुक्त कर दिया गया था।

  • चावला को प्रत्यर्पित किए जाने पर तिहाड़ जेल में रखने की तैयारी थी।

भारत के पक्ष में फैसला होने पर प्रत्यर्पण आदेश पर दस्तखत में लगेगा 2 महीने

पिछले वर्ष चार दिसंबर को लंदन की अदालत में इस मामले की सुनवाई शुरू की गई थी। जिसका मकसद माल्या के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले को प्रथम दृष्टया स्थापित करना था। माल्या मार्च 2016 में भारत छोड़कर जाने के बाद ब्रिटेन भाग गया। जहां पर उसकी बचाव टीम दावा कर रही थी कि उसकी कोई गलत मंशा नहीं है और भारत में उस पर निष्पक्ष तरीके से मुकदमा चलाने की संभावना नहीं है।

  • इसके साथ माल्या की सोच है कि अगर न्यायाधीश भारत सरकार के पक्ष में फैसला देती हैं तो ब्रिटेन के विदेश मंत्री के पास माल्या के प्रत्यर्पण आदेश पर दस्तखत के लिए दो महीने का वक्त होगा।

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