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इन सभी गलत आदतो की वजह से होती हैं हृदय की बीमारिया…

हृदय की प्रमुख बीमारियां
कोरोनरी हार्ट डिजीज : धमनियों में ब्लॉकेज के कारण रक्तसंचार बाधित होना.
लक्षण : सीने में दर्द होना प्रमुख है. इसके अतिरिक्त सीने में जलन, ऐंठन, धड़कनों का तेज होना, सांस असामान्य होना, पसीना आना और उल्टी आने का अहसास होना.
अरिद्मिया : धड़कनों का असामान्य होना.
लक्षण: सीने पर तेज प्रहार होने जैसा महसूस होना, बेहोशी छाना, छोटी-छोटी सांस आना, कमजोरी लगना.


हार्ट अटैक : धमनियों में ब्लॉकेज होने से दिल में खून की सप्लाई बंद होना. ऑक्सीजन की कमी.
लक्षण: छाती में बाईं ओर तेज दर्द, पसीना आना, सांस लेने में तकलीफ और चक्कर आना.
हार्ट इंसफिशिएंसी : इसका मतलब हार्ट का कार्य बंद कर देना नहीं बल्कि शरीर की आवश्यकता के अनुसार दिल का पर्याप्त मात्रा में रक्त पंप न कर पाना.
लक्षण: छाती में दर्द के मुकाबले सांस अधिक फूलती है. इसके अतिरिक्त हाथ, पैर  पेट में सूजन होना.
हार्ट वॉल्व डिजीज : रक्तसंचार को नियंत्रित करने वाले वॉल्व का कार्य न करना.
लक्षण : सांस का असामान्य होना खासकर जब आप लेटे हों या ठंडी हवा के सम्पर्क में आने पर सीने पर दबाव या भारीपन महसूस होना, बेहोशी और कमजोरी.
ये जांचें हैं जरूरी
कोलेस्ट्रॉल : दिल रोग का बड़ा कारण है शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढऩा. ब्लड सैंपल लेकर इसकी जाँच करते हैं. शरीर मेंं ट्राइग्लिसराइड, एलडीएल और एचडीएल का कुल स्तर 200 एमजी/डीएल से ज्यादा नहीं होना चाहिए.
ईसीजी: यह दर्दरहित टैस्ट है. दिल रोग की संभावना होने पर मरीज की छाती, भुजाओं  पैरों की स्कीन पर छोटे इलेक्ट्रोड पैच लगाकर दिल की इलेक्ट्रिक एक्टिविटी को रिकॉर्ड करते हैं.
ईकोकार्डियोग्राम : हार्ट की मांसपेशियों, वॉल्व की स्थिति  दिल रोगों के खतरे के आकलन के लिए अल्ट्रासाउंड का प्रयोग किया जाता है.
स्ट्रेस टैस्ट : मरीज के शरीर पर इलेक्ट्रोड लगातार ट्रेडमिल या साइक्लिंग वर्कआउट कराते हैं. इस दौरान हार्ट रेट और बीपी पर नजर रखी जाती है.
एंजियोग्राफी : एक पतली कैथेटर को मरीज के हाथ या पैर की रक्त नलिका में डालकर एक्सरे मशीन से हार्ट की कार्यक्षमता का पता लगाते हैं.

परेशानी का सबब ये आदतें 
अनिद्रा : कम से कम 7 घंटे सोने से दिल की धमनियों की कार्यक्षमता बढ़ती है.
बीपी : उच्च रक्तचाप धमनियों को ब्लॉक करता है. जिससे कई बीमारियों का खतरा बढ़ता है.
डायबिटीज : यह दिल को निर्बल करती है. पीडि़त शुगर लेवल नियंत्रित करें और सामान्य लोग सावधानी बरतें.
बढ़ता वजन : फैट से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है जो हार्ट अटैक का कारण बनता है. ट्रांस फैट सर्वाधिक नुकसान पहुंचाता है. पांच वर्ष में एक बार कोलेस्ट्रॉल की जाँच जरूर कराएं.
तनाव और बुरी आदतें: तनाव का सीधा रिश्ता दिल की स्वास्थ्य से है. इससे जितना हो सके दूर रहें.
स्मोकिंग : इससे धमनियां सिकुड़ती हैं जिससे रक्तसंचार बाधित होता है  दिल रोगों का खतरा बढ़ता है.
शराब : यह दिल की मांसपेशियों को निर्बल करती है जिससे दिल रक्त पंप नहीं कर पाता.

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