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Ramnagar encounter : साहस या षड्यंत्र !

बाराबंकी पुलिस द्वारा साहसिक मुठभेड़ में दो इनामी अपराधियों को मार गिराने के दावे पेश किए जा रहे हैं। लेकिन पुलिस के इस तथाकथित साहसिक मुठभेड़ Ramnagar encounter में कई पेंच फंसते नजर आ रहे हैं। बतौर बाराबंकी पुलिस मुखबिर के जरिए उसे 7 जुलाई की अल सुबह सूचना मिली कि कुछ शातिर बदमाश रामनगर इलाके में किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के इरादे से बहलोलपुर पुलिया के पास मौजूद हैं। जिसके बाद इस पूरे तथाकथित मुठभेड़ कांड की पटकथा लिखी जाती है।

Ramnagar encounter : पुलिस की थ्योरी

पुलिस को मुखबिर से मिली सूचना के बाद आनन-फानन में रामनगर,टिकैतनगर,देंवा,बदोसराय थाना पुलिस के साथ ही स्वाट और सर्विसलांस टीम के प्रभारी समेत 6 बदमाशों को रामनगर थाना क्षेत्र के बहलोलपुर पुलिया(सिलौटा) के पास घेराबंदी करके सभी को पकड़ने का प्रयास करते हैं। लेकिन बदमाश पुलिस टीम पर फायरिंग करके वहां से भागना शुरु कर देते हैं। पुलिस की थ्योरी के मुताबिक जवाबी कार्यवाई के दौरान दो बदमाश गोली लगने से घायल हो जाते है और 4 अन्य अंधेरे का फायदा उठाकर फरार होने में सफल हो जाते है। मुठभेड़ में घायल बदमाशों को सीएचसी रामनगर पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया।

पुलिस की थ्योरी पर सवाल ?

इस मुठभेड़ कांड का दूसरा पहलू देखते हैं – चार थाना प्रभारियों के साथ स्वाट/सर्विसलांस प्रभारी यानी कुल 5 प्रभारी और बदमाश 6!!! यहां ध्यान देने योग्य…… एक बदमाश के पास से 315 बोर का तमंचा 8 जिंदा कारतूस दो खोखा कारतूस यानी कुल 10 कारतूस थे।जबकि दूसरे बदमाश के पास पिस्टल के 12 जिंदा और 3 खोखा कारतूस यानी कुल 15 राउंड मौजूद होते है और एक कयास के मुबाबिक ही अंधेरे का फायदा उठाकर मुठभेड़ स्थल से भागे बदमाशों के पास भी करीब (10+10+10+10) 40 राउंड मौजूद रहे होंगे!!

लेकिन साहसिक मुठभेड़ में पुलिस टीम से टिकैतनगर एसो सहित एक दरोगा व एक सिपाही के मामूली घायल होने के अलावा कोई भी पुलिसकर्मी गम्भीर घायल नही हुआ ?……और तो और अपने निशाने में मजबूत स्वाट, सर्विसलांस सहित पांच थाना प्रभारियों व दर्जन भर से अधिक पुलिस फोर्स को चार बदमाश चकमा देकर (अंधेरे का फायदा उठाकर) फरार हो गए? लानत है ऐसी पुलिसिंग पर!!

गजब का निशाना

गौरतलब हो कि मुठभेड़ स्थल से कुल 5 खोखा बरबाद किए गए जोकि बदमाशों द्वारा पुलिस के ऊपर चलाए गए थे। यानी 5 गोलियां बदमाशों ने चलाई और इसमें टिकैतनगर एसो सहित एक दरोगा व एक सिपाही गोली लगने से घायल हो गए!!!…..गजब का निशाना था बदमाशों का? मतलब येे हुआ कि बदमाशों ने कुल मिलाकर 5 गोलियां चलाई और इनमें से 3 गोलियां पुलिस वालो को जा लगी??

फिर भी भाग निकले बदमाश

मुठभेड़ का समय रात करीब 3:20 बजे बताया जा रहा है। वैसे तो आजकल उजाले वाली रात है फिर भी पुलिस की 5 गाड़ियों की लाइट,पुलिस के पास मौजूद कई टॉर्च….बावजूद इसके चार बदमाश मौके से भाग निकलने मे सफल रहे ये संदेहास्पद है!!

पुलिस की कहानी में ट्विस्ट !

बीते शनिवार के अहले सुबह जहां मुठभेड़ होना दर्शाया गया है वहां से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर वर्ष 2001 में 25/26 जुलाई की सुबह तिहरे एनकाउंटर को पुलिस ने अंजाम दिया था। जिसकी गोलियों की गूंज आज भी रामनगर क्षेत्र के बाशिंदों के जहन में मौजूद हैं। लेकिन इस मुठभेड़ के बाद आसपास के ग्रामीणों से पूछने पर उन्होंने फायरिंग की आवाज सुनने से अनभिज्ञता जाहिर की। वैसे तो ग्रामीण क्षेत्रों में 4:00 बजे के लगभग लोग दिशा-मैदान और अपने खेतों की ओर आने जाने लगते हैं। लेकिन स्थानीय लोगों को पुलिस के इस मुठभेड़ की जानकारी घटना के करीब 3 घंटे बाद होती है!

बदमाशों के ऊपर दर्ज मुकदमे

पुलिस के मुताबिक मारे गए दोनों बदमाशों के ऊपर एक दर्जन मुकदमे दर्ज थे। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि दोनों बदमाशों के ऊपर महज छः माह में ही एक दर्जन मुकदमें दर्ज हुए हैं। सभी मुकदमें वर्ष 2018 के ही हैं?

अपनी पहचान लेकर चलते थे बदमाश?

इस पूरे मुठभेड़ कांड में जो भी तथ्य सामने आएं उनमे से एक मुख्य यह भी है जो किसी के गले से नीचे नही उतर रहा है।आश्चर्य की बात तो यह कि दोनों बदमाशों के पास से जामा तलाशी के दौरान “आधार कार्ड” बरामद हुए हैं जिससे दोनों की जल्द ही पहचान भी करा ली गयी। पुलिस को बदमाशों की पहचान कराने के लिए किसी भी असुविधा का सामना नही करना पड़ा। अमूमन अपराधी अपनी पहचान छिपाने के लिए हर प्रकार के हथकंडे अपनाता है लेकिन इस मुठभेड़ में ढेर हुए बदमाश अपनी पहचान अपने साथ ही लेकर चल रहे थे!!

अगर मुठभेड़ सही मायने में सही हो तो इसमे शामिल पुलिस कर्मियों पर सभी को गर्व है,लेकिन योजनाबद्ध तरीके से दर्शाया गया कोई भी मुठभेड़ हत्या की श्रेणी में ही आता है।पहले भी फर्जी मुठभेड़ों के अन्य मामलो में पुलिस कर्मियों को सजा सुनाई जा चुकी है। इस मुठभेड़ में भी ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब दिए बगैर यह “मुठभेड़ काण्ड” सत्यता की कसौटी पर खरा नही उतर सकता है,यह अभी जांच का विषय है!

रिपोर्ट- अनुपम चौहान/आर एस शर्मा

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