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मोबाइल की लत छुड़वाने के लिए सरकार ने उठाये ये कदम…

स्वास्थ्य विभाग ने मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए योजना बनाई है. इसके तहत जिला अस्पताल में मन कक्ष की स्थापना की जाएगी जिसमें मनोचिकित्सक  काउंसलर की टीम मोबाइल की लत छोड़ने के लिए सलाह देंगी. इसके बाद औषधि भी दी जाएगी. यह कक्ष इसी महीने प्रारम्भ हो जाएगा.आजकल लोग मोबाइल का प्रयोग बेहद करते हैं. मोबाइल से निकलने वाली किरणों से उनमें एक नए रोग का जन्म हो रहा है. इसलिए मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए जिला अस्पताल में मन कक्ष बनाया जाएगा. मुख्य चिकित्सा ऑफिसर डाक्टर अनुराग भार्गव ने बताया कि इसके लिए स्वास्थ्य निदेशक मधु सक्सेना ने आदेश जारी किए हैं.

सीएमओ ने बताया कि मोबाइल की लत इस प्रकार है कि यदि किसी बच्चे के हाथ से मोबाइल छीन लिया जाता है तो वह आक्रमक हो जाता है. वह अपने अभिभावकों को आत्महत्या करने तक की धमकी दे देता है. ऐसे विकार दूर करने के लिए जिला अस्पताल में इसी महीने मन कक्ष की स्थापना की जाएगी. इसमें मनोचिकित्सक के अतिरिक्त काउंसलिंग करने वाले विशेषज्ञों की तैनाती की जाएगी. जिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डाक्टर वंदना शर्मा का बोलना है कि अस्पताल में मनो कक्ष है, जिसमें मानसिक बीमारियों से पीड़ित मरीजो का उपचार किया जाता है. मन कक्ष के लिए यदि शासन या सीएमओ की ओर से आदेश मिलता है तो उसे बनवाया जाएगा.

आत्महत्या की प्रवृत्ति रुकेगी : युवाओं में मोबाइल की लत कम करने के लिए ही नहीं बल्कि आत्महत्या की रोकथाम के लिए भी इस मन कक्ष में प्रयास की जाएगी. इसके लिए भी कक्ष में विशेषज्ञों द्वारा अच्छा प्रकार से काउंसलिंग कर दवाएं दी जाएगी.

मोबाइल का कितना प्रयोग सही 

  • 01 घंटे से ज्यादा समय नहीं गुजारने देना चाहिए 2 से 5 वर्ष के बच्चों को स्क्रीन पर रोजाना
  • 02 घंटे तक बढ़ा सकते हैं यह अवधि किशोरों के लिए, रात 9 बजे के बाद इस्तेमाल पर रोक लगाएं

ऐसे पहचानें लत

  • दिन में 8 से 12 घंटे तक मोबाइल का प्रयोग करना
  • हर 10 मिनट बाद मोबाइल की स्क्रीन देखने की चाहत
  • सोशल मीडिया पर दिन में 8 घंटे से अधिक का समय देना
  • अपने पोस्ट पर कमेंट, लाइक के लिए बार-बार मोबाइल देखना

स्क्रीन की अति बुरी

अनिद्रा का खतरा : स्मार्टफोन से निकलने वाली नीली लाइट सेन सिर्फ सोने में परेशानी आती है, बल्कि बार-बार नींद टूटती है.

आंखों को नुकसान : इसके ज्यादा इस्तेमाल से रेटिना को नुकसान होने का खतरा रहता है.

मोटापा और बीमारियां : एक शोध के मुताबिक मोबाइल से चिपके रहने से दिनचर्या अनियमित रहती है. इससे मोटापे  टाइप-2 डायबिटीज की संभावना बढ़ जाती है.

ऐप से तय करें सीमा

Family Time Parental Controls & Screen Time App : फेसबुक, यू-ट्यूब, इंस्टाग्राम सहित विभिन्न एप के प्रयोग की अवधि निर्धारित करने की सुविधा देता है. तय अवधि आते ही संबंधित एप उस दिन के लिए ‘लॉक’ हो जाएंगे. ‘फैमिली टाइम’ पर वयस्क साइटें ब्लॉक करने, फोन इस्तेमाल की अवधि-लोकेशन देखने  कॉल-एसएमएस पर नजर रखने का विकल्प भी उपस्थित है. गूगल प्ले स्टोर पर 3.8 रेटिंग वाला यह एप मुफ्त में उपलब्ध है.

Screen Time Parental Control : गूगल प्लेस्टोर पर मुफ्त में उपलब्ध इस एप से माता-पिता यह जान सकते हैं कि उनके बच्चे ने कब किस एप-साइट का कितनी देर प्रयोग किया है. बच्चा अगर किसी नए एप को डाउनलोड करता है तो इसकी जानकारी भी अभिभावकों के पास पहुंच जाएगी. उसने किस साइट पर क्या सामग्री खंगाली है, यह भी पता चल जाएगा.‘स्क्रीन टाइम पैरेंटल कंट्रोल’ को 3.9 रेटिंग हासिल है.

MMGuardian Parental Control For Parents App  : इस एप से अभिभावक न सिर्फ यह जान सकते हैं कि उनका बच्चा कितनी देर से किस साइट या एप से चिपका हुआ है, बल्कि दूर बैठे उसका फोन भी लॉक कर सकते हैं. बच्चे के फोन पर आने वाले कॉल, एसएमएस, ईमेल की जानकारी जुटाने की सुविधा भी एप पर उपलब्ध है. उपभोक्ता 4.3 रेटिंग वाले इस एप को गूगल प्ले से मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.

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