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फेसऐप के कारण प्राइवेसी पॉलिसी की हो रही छति,जाने इसके खतरे…

दुनियाभर में पिछले एक सप्ताह से फेसऐप नाम का एक ऐप तेजी से वायरल हो रहा है. यह डाउनलोड्स के मुद्दे में एंड्रॉयड प्ले स्टोर  ऐपल ऐप स्टोर दोनों पर पहले पायदान पर है. यह रशियन ऐप कितना सुरक्षित है, इस पर भी अब सवाल उठने लगे हैं. फेसऐप बताता है कि कोई भी आदमी आज से 50 वर्ष बाद कैसा दिखेगा या जवानी में वह कैसा दिखता था. साथ ही इसमें फोटो में चेहरे पर स्माइल जोड़ने, दाढ़ी  बालों की स्टाइल  रंग बदलने जैसा विकल्प भी हैं. यह सब करने के लिए फेसऐप आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग करता है. उपभोक्ता को बस अपनी तस्वीर अपलोड करनी होती है. यूं तो फेसऐप 2017 में लॉन्च हुआ था, लेकिन यह वायरल अब हुआ है. इस ऐप को एक रशियन कंपनी ने वायरलेस प्रयोगशाला ने बनाया था, जिसके निर्माणकर्ता  सीईओ यारोलव गोनशरोव माइक्रोसॉफ्ट में कार्य कर चुके हैं. रशियन होने के कारण ही इस ऐप से उपभोक्ता के डेटा को खतरा होने की बात कही जा रही है.इस ऐप ने डेटा प्राइवेसी  सुरक्षा के हिमायतियों को चिंता में डाल दिया है. अमेरिका भी इससे घबराया हुआ है. हाल ही में डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने इसे तुरंत अपने मोबाइल से हटाने  एफबीआई से जाँच करवाने की मांग की है. हालांकि वे इस बात से ज्यादा डरे हुए हैं कि ऐप रशियन है. अमेरिका रूस पर उसके चुनावों को इंटरनेट से प्रभावित करने का आरोप लगाता रहा है. मोबाइल ऐप्स से आपका व्यक्तिगत डेटा शेयर होने का खतरा नया नहीं है. फेसबुक  गूगल जैसी बड़ी कंपनियों पर डेटा या हमारी व्यक्तिगत जानकारियों का दुरुपयोग करने का आरोप लग चुका है. ये कंपनियां अरबों रुपए हर्जाना भी भर चुकी हैं. हाल ही में इंटरनेशनल कम्प्यूटर साइंस इंस्टीट्यूट ने गूगल प्ले स्टोर के 88 हजार ऐप्स पर रिसर्च कर यह नतीजा निकाला है कि करीब 1325 ऐप्स ऐसे हैं जो बिना इजाजत के यूजर्स का डेटा चुरा रहे हैं. ये ऐप्स एसडी कार्ड में उपस्थित फाइल्स तक जाँच रहे हैं. अभी गूगल प्ले स्टोर पर करीब 27 लाख ऐप्स हैं. इनमें से 88 हजार की ही जाँच में यह नतीजा आया है.

वहीं वैसे चर्चा में आया ऐप आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आधारित है. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस या कृत्रिम बुद्धिमत्ता कम्प्यूटर की इंसान की तरह सोचने-समझने की क्षमता को कहते हैं. दुनियाभर में इस पर कार्य चल रहा है. फेशियल रेकॉग्निशन यानी चेहरे को पहचानने की खूबी भी इसी का भाग है, जो इन दिनों मोबाइल से लेकर एयरपोर्ट तक में प्रयोग हो रहा है. फेसऐप चेहरे का ही डेटा इकट्‌ठा कर रहा है, इसलिए भी इसे लेकर चिंता जताई जा रही है.

    • 10 करोड़ से ज्यादा बार गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा चुका है
    • 121 राष्ट्रों में ऐपल ऐप स्टोर पर पहले पायदान पर बना हुआ है
    • 12.5 लाख से ज्यादा इंस्टाग्राम पोस्ट हैं इस ऐप से जुड़े हुए
    • 22 हजार से ज्यादा ट्वीट हर घंटे हो रहे हैं एजचैलेंज  फेसऐप से जुड़े हुए
    • 97% तक रुचि बढ़ी हिंदुस्तान में लोगों की फेसऐप में, गूगल ट्रेंड्स के मुताबिक
  1. फेसऐप से डेटा सुरक्षा का मुद्दा केवल चर्चा में आया है. ऐसे बहुत सारे ऐप्स हैं, जो हमसे करीब 250 तरह की परमीशन लेती हैं  हमारा डेटा प्रयोग करते हैं. इनमें फेसबुक गूगल जैसी नामी-गिरामी कंपनियों के ऐप्स भी शामिल हैं. सायबर एक्सपर्ट  एथिकल हैकर जितेन जैन बताते हैं कि जब आप कोई ऐप इंस्टॉल करते हैं तो एक प्रकार से उनका कॉन्ट्रैक्ट डिजिटली साइन कर लेते हैं. कई ऐप्स आपकी लोकेशन, कॉन्टैक्ट्स  एसएमएस आदि देखने की परमीशन मांगते हैं. सोचने वाली बात यह है कि एक फोटो ऐप को आपके एसएमएस देखने की क्या आवश्यकता है? हाल ही में यह भी सामने आया है कि गूगल, एलेक्सा  सीरी से हम जो बातें कह रहे हैं, वे कंपनियां अपने पास सुरक्षित रख रही हैं  विश्लेषण के लिए थर्ड पार्टी को दे रही हैं.
  2. अगर कोई विदेशी ऐप हिंदुस्तान में किसी उपभोक्ता की निजता का उल्लंघन करते हैं तो उस पर लगाम कसने के लिए देश में कोई कानून नहीं है. 2019 लोकसभा चुनावों के नतीजों के कुछ ही दिन बाद सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बोला था कि देश को ‘पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल’ की बहुत जरूरत है. इस बिल का पिछले 15 वर्षों से इंतजार हो रहा है. इसके ड्राफ्ट के मुताबिक कोई भी ऐप डेटा का प्रयोग सिर्फ उसी कार्य के लिए कर पाएगा, जिसके लिए उसे बनाया गया है. उदाहरण के लिए फेसऐप तस्वीरों का प्रयोग केवल बुढ़ापा दिखाने के लिए कर सकता, इसके अतिरिक्त नहीं. सायबर एक्सपर्ट जितेन जैन कहते हैं कि वैसे यूजर्स को ही सुरक्षा का ध्यान रखना होगा. एंड्रॉयड उपभोक्ता सेटिंग्स में ऐप्लीकेशन मैनेजर पर जाकर हर ऐप को दी गईं परमीशन देख सकते हैं.
  3. पिछले वर्ष फेसबुक पर 10 ईयर चैलेंज सामने आया था, जिसमें लोग अपनी मौजूदा और 10 वर्ष पुरानी तस्वीर पोस्ट कर रहे थे. इसी तरह तस्वीर को पेंटिंग जैसा बनाने वाली प्रिज्मा ऐप भी वायरल हुआ था. एक्सपर्ट मानते हैं कि इस तरह दुनियाभर के लोगों की फोटोज़ इकट्‌ठी कर टेक कंपनियां चेहरा पहचानने वाली आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) तकनीक को  एक्युरेट करने में प्रयोग कर सकती हैं. दुनियाभर में फेस रेकॉग्निशन तकनीक तेजी से प्रयोग हो रही है. उदाहरण के लिए हिंदुस्तान में ही कई एयरपोर्ट्स पर चेहरे को ही बोर्डिंग पास मानकर प्रवेश देने की आरंभ हो रही है. इसमें आदमी के चेहरे का मिलान एआई से आधार कार्ड की फोटो से हो रहा है. हाल ही में नेशनल अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने भी फेस बेस्ड एआई पर कार्य करने के लिए टेंडर निकाला है.
  4. शोधकर्ता साबित कर चुके हैं कि हाई रेजॉल्यूशन तस्वीरों  अन्य कई उपायों से फेशियल रेकॉग्निशन (चेहरा पहचानने की तकनीक) को मूर्ख बनाया जा सकता है. हाल ही में सामने आया है कि लंदन पुलिस की फेशियल रेकॉग्निशन तकनीक 80 प्रतिशत बार नाकाम साबित हो रही है. संसार के कई राष्ट्रों की पुलिस अपराधियों को पकड़ने के लिए इस तकनीक का प्रयोग कर रही है. इस टेक्नोलॉजी को मजबूत बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा डेटा की आवश्यकता है. फेसऐप जैसी कंपनियों को तस्वीरों का ऐसा ही डेटा लाखों-करोड़ों लोग मुफ्त में दे रहे हैं. जितेन कहते हैं कि हमारे चेहरों से जुड़ा डेटा सरकार तक सीमित रहे, तब तो अच्छा भी है. लेकिन प्राइवेट कंपनियों को ऐसा डेटा देना देश आदमी दोनों के लिए खतरनाक साबित होने कि सम्भावना है.
  5. 1. फेसऐप आपके द्वारा अपलोड की गई तस्वीरों को अपने पास रख सकता है  उनका अपनी मर्जी से प्रयोग कर सकता है. आपका फोटो एल्बम भी सिंक हो जाता है. अब अपडेटेड वर्जन में फेसऐप पहले ही बता रहा है कि वह आपकी अपलोड की हुई तस्वीर  बदली हुई तस्वीर को अपने सर्वर पर रखेगा. हालांकि फेसऐप के सीईओ का दावा है कि तस्वीर 48 घंटे से ज्यादा सर्वर पर नहीं रखी जाएगी.

    इससे खतरा: फेसऐप प्राइवेसी पॉलिसी के मुताबिक वह आपकी तस्वीरों को कैसे भी प्रयोग कर सकता है. आप फोटो में परिवर्तन करने, उसका कहीं भी, कैसे भी प्रयोग करने की अनुमति दे रहे हैं. कंपनी आपकी तस्वीरों का कमर्शियल प्रयोग कर सकती है. यह भी स्पष्ट किया गया है कि इसके लिए आपको रॉयल्टी नहीं दी जाएगी.

  6. 2.

    फेसऐप की प्राइवेसी पॉलिसी में उल्लेख है कि वह आपके द्वारा दी गई जानकारियों को किसी भी दूसरे देश के साथ साझा कर सकता है. साथ ही यह भी बोला गया है कि फेसऐप जानकारी की सुरक्षा को पूरी तरह सुनिश्चित नहीं कर सकता है. आपके डिवाइस (मॉडल, आईएमईआई नंबर), लोकेशन जैसी जानकारी थर्ड पार्टी से साझा कर सकता है.

    इससे खतरा: आपकी जानकारी कई माध्यमों से होते हुए गलत हाथों में पड़ सकती है. जैसे आपकी तस्वीर का गलत प्रयोग होने कि सम्भावना है. आपकी व्यक्तिगत जानकारी को विज्ञापनदाताओं के साथ साझा किया जा सकता है. फेसबुक के जरिये इस पर लॉइगिन करते हैं तो फेसऐप आपका ईमेल  कॉन्टेक्ट्स हासिल कर लेता है.

  7. 3.

    फेसऐप की सर्विस की शर्तों के मुताबिक आप उन्हें उनकी तस्वीरों का वर्ल्डवाइड लाइसेंस मुफ्त में दे रहे हैं. अगर पूरा फेसऐप या इसका एक भाग बेच दिया जाता है, तो आपकी जानकारियां  फोटोज़ खरीददार के पास जा सकती हैं. यदि आप अपना अकाउंट डिलीट भी कर देंगे तो भी फेसऐप को आपकी जानकारी अपने पास स्टोर रखने का अधिकार है.

    इससे खतरा: चूंकि फेसऐप रशियन कंपनी का है  इसका कार्यालय अमेरिका में है, इसलिए आपके कंटेंट, फोटो या अन्य जानकारी के दुरुपयोग को लेकर कोई कानूनी कार्रवाई करना कठिन होगा. हिंदुस्तान में तो वैसे डेटा प्राइवेसी  सुरक्षा के लिए कोई कानून है भी नहीं.

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