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सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत आज…

सावन मास का आज तीसरा मंगला गौरी व्रत है। इस दिन भगवान शिव की अर्धांगिनी माता पार्वती के मंगला गौरी स्वरूप की विधि विधान से पूजा की जाती है, जिससे विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य का और कन्याओं को मनोवांछित वर प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से माता की कृपा स्वरूप पति को लंबी उम्र तथा संतान को सुखी जीवन प्राप्त होता है। इस दिन माता पार्वती के साथ भगवान शिव की पूजा की जाती है।

मंगला गौरी व्रत की तिथियां-
06 अगस्त: सावन का तीसरा मंगलवार।
13 अगस्त: सावन का चौथा मंगलवार।

पूजा विधि-
पूजा घर में माता मंगला गौरी यानी पार्वती जी की तस्वीर को चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर स्थापित करें। आटे का दीप प्रज्वलित कर मां पार्वती का षोडशोपचार पूजन करें। षोडशोपचार पूजन में माता को सुहाग की सामग्री 16 की संख्या में चढ़ाएं। फल, फूल, माला, मिठाई आदी भी 16 की संख्या में होनी चाहिए। माता पार्वती की पूजा के सा​थ ही भोलेनाथ की भी विधि-विधान से पूजा करें।

मंगला गौरी व्रत का महत्व-
जिन लोगों ​के वैवाहिक जीवन में किसी भी प्रकार का दोष है या समस्याएं हैं, उनके निराकरण के लिए मंगला गौरी व्रत करना चाहिए। माता की कृपा से वे सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी। यह व्रत खासकर महिलाओं के लिए होता है।

पूजा में 16 का महत्व-
मंगला गौरी व्रत में माता को 16 मालाएं, आटे के लड्डू, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची और सुहाग सामग्री अर्पित करते हैं। इस दौरान मंगला गौरी माता की कथा सुनें। मंगला गौरी पूजा में 16 की संख्या का बहुत महत्व है इसलिए पूजा में दीपक 16 बत्तियों वाला जलाना चाहिए। वहीं माता को 16 वस्तुओं का भोग लगाना चाहिए।

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