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महिला सुरक्षा सप्ताह का आयोजन

लखनऊ। प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप नारी सुरक्षा को लेकर यूपी पुलिस ने नारी सुरक्षा मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए नारी सुरक्षा सप्ताह के रूप में मनाया गया। यूपी डीजीपी सुलखान सिंह ने आईटी कॉलेज लखनऊ में 4 दिसंबर से नारी सुरक्षा सप्ताह की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने प्रदेश की लड़कियों और महिलाओं को कड़वी सच्चाई से वाकिफ कराते हुए कहा कि अगर आप अर्ल्ट नहीं रहेंगी, तो कल नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा सीएम योगी की प्राथमिकताओं में से एक है।
महिलाओं को जागरूक करना जरूरी
सुरक्षा सप्ताह के दौरान डीजीपी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब तक समाज जागरूक नहीं होगा, तब तक अधिकारों की रक्षा संभव नहीं है। ऐसे में महिलाओं को भी अपनी सुरक्षा के लिए सचेत होकर अलर्ट रहना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि नारी सुरक्षा सप्ताह के दौरान शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल-कॉलेजों में भी पुलिस अधिकारी लड़कियों को जागरुक करेंगे। वहीं आईजी नवनीत सीकेरा ने कहा कि आजादी के 70 साल हो गए हैं, लेकिन पहली बार हम चोर-उचक्कों से जुड़े अभियान के अलावा नारी सुरक्षा के लिए पूरा सप्ताह अभियान चलाएंगें। इसमें लाखों छात्राओं को जागरुक करने की योजना है।
समाजिक सोच बदलने की जरूरत
डीजीपी ने कहा कि समाज को महिलाओं के प्रति सोच बदलने के लिए जागरूकता कार्यक्रमों को चलाना जरूरी है। इसके साथ लड़कियों के साथ कोई अत्याचार होता है, तो उसे पीड़ित की जगह आरोपी मान लिया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर कोई लड़की किसी मुसीबत में फंसती है, तो उसके साथ खड़े होकर मुशीबत में साथ देने की सख्त जरूरत पड़ती है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर आप अनजान लोगों से सावधान रहे। इसके साथ साइबर वर्ल्ड कई तरह की सुविधाएं देता है तो कई तरह की समस्याएं भी खड़ी होती हैं। जिससे सावधान रहने की जरूरत है।
मुशीब​त में करे इन सुविधाओं का उपयोग
महिलाओं को महिला सुरक्षा सेल 1090 पर संपर्क करने पर तुरंत महिला अधिकारी से सहायता ली जा सकती है। इसके साथ किसी भी तरह की समस्या होने पर पुलिस से भी संपर्क किया जा सकता है। इसके साथ ट्विटर भी महिलाओं की सहायता के लिए मददगार साबित हो सकता है। आईजी वूमेन पावर लाइन (1090) नवनीत सिकेरा ने इस दौरान सोसाइटी के सामने एक सवाल रखा कि आज लड़कियां 10 वीं और 12वीं कक्षा में लड़कों को चैलेंज कर रही है। टॉपर की लिस्ट में चार-पांच सालों से लड़कों के नाम तलाशने पड़ते हैं। लेकिन इसके बाद कॉलेज और कॉर्पोरेट वर्ल्ड में अचानक उनकी संख्या कम क्यों हो जाती है। वहीं उन्होंने नारी सुरक्षा को लेकर कहा कि हम बचपन से लड़कियों की आस-पास की परेशानियों को अनदेखा करने की ट्रेनिंग देते आ रहे हैं। लेकिन अब बहुत जरुरी है कि अब इस सोच को बदला जाये और आवाज उठाई जाये।

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