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यूपी डीजीपी की कुर्सी की रेस …

डीजीपी सुलखान सिंह का कार्यकाल सिर्फ चार दिन बचा है। उन्हें तीन माह का और सेवा विस्तार मिलेगा या नहीं, नया डीजीपी कौन होगा? इस पर अभी संशय बरकरार है। यूपी में उपलब्ध अधिकारियों में से किसी को यह कुर्सी मिलेगी या प्रतिनियुक्ति से आकर कोई यह जिम्मेदारी संभालेगा? इन बातों को लेकर अटकलों का दौर जारी रहा।

नये डीजी की लाइन में

सूत्रों का कहना है कि सरकार किसी ऐसे डीजी की तलाश में है, जो 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव तक यह जिम्मेदारी संभाले। यानी ऐसे डीजी को यूपी पुलिस मुखिया बनाने के मूड में है जिसका कम से कम डेढ़ वर्ष का कार्यकाल बचा हो। ऐसे में मौजूदा समय में विजलेंस में डीजी हितेश चंद्र अवस्थी, इंटेलीजेंस में डीजी भवेश कुमार और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर डीजी एसएसबी रजनीकांत मिश्रा का नाम सबसे अधिक चर्चा में है। वहीं अगर वरिष्ठता क्रम में देखा जाए तो नंबर प्रवीण सिंह का है। लेकिन प्रवीण सिंह का कार्यकाल जून 2018 तक ही है। हालांकि इस विकल्प की भी चर्चा है कि प्रवीण सिंह को डीजी बना दिया जाए और उनके रिटायर होने के बाद हितेश अवस्थी को डीजी बनाया जाए। हितेश का कार्यकाल जून 2021 तक है। जबकि भवेश सिंह का कार्यकाल जनवरी 2020 तक है। वहीं केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए रजनीकांत मिश्रा का कार्यकाल अगस्त 2019 तक है।

इस समय कुल डीजी की संख्या 20

दरअसल भवेश कुमार सिंह को डीजी बनाने के लिए कम से कम एक दर्जन आईपीएस अधिकारी जो यूपी में उपलब्ध हैं उन्हें सुपरसीड करना होगा। मौजूदा समय में प्रदेश में कुल डीजी की संख्या 20 है। इसमें मौजूदा डीजीपी सुलखान सिंह और पूर्व डीजीपी जावीद अहमद शामिल हैं। इसके अतिरिक्त छह डीजी रैंक के अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं, जिसमें पूर्व डीजीपी जावीद अहमद भी शामिल हैं। ऐसे में सुलखान सिंह के रिटायरमेंट के बाद प्रदेश में उपलब्ध डीजी रैंक के अधिकारियों की संख्या 13 बचेगी जिसमें भवेश कुमार सिंह का नंबर 12वां है। उनसे जूनियर केवल डीजी वाराणसी जोन विश्वजीत महापात्रा ही हैं। ऐसे में सरकार या तो वरिष्ठता के आधार पर प्रवीण सिंह को डीजी बना सकती है। लेकिन जातिवाद को लेकर पैदा होने वाले किसी विवाद से बचने के लिए हितेश अवस्थी और रजनीकांत मिश्रा में से किसी एक को भी डीजीपी की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

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