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अक्षय नवमी: जानें पूजा करने की विधि एंव शुभ मुहूर्त…

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी या आंवला नवमी कहा जाता है। शास्त्रोक्त मान्यता है कि इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने और उसके नीचे बैठकर भोजन ग्रहण करने से सुख-समृद्धि और आरोग्य का वरदान प्राप्त होता है। इस साल आंवला नवमी 5 नवंबर को मनाई जाएगी।

अक्षय नवमी की पूजा सामग्री-

आंवले का पौधा, पत्ते और फल, तुलसी का पौधा और पत्ते, जल से भरा हुआ कलश, कुमकुम, अक्षत, हल्दी, मेंहदी, गुलाल, अबीर, कलेवा, धूप, दीप, नारियल, श्रंगार का सामान, दान का सामान( अनाज, वस्त्र) आदि।

अक्षय नवमी की पूजन विधि-

सूर्योदय के पहले उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। इस दिन आंवले के वृक्ष का बड़ा महत्व है। इसलिए लोग परिवार सहित या तो आंवले के वृक्ष के नीचे या पास में भोजन बनाते हैं या घर से खाना ले जाकर परिवार सहित वृक्ष के नीचे बैठकर ग्रहण करते हैं। इससे घर से दूर परिवार के साथ पिकनिक भी हो जाता है। यदि घर के बाहर नहीं जा सकते हैं तो आंवले के पौधे के पास बैठकर भी भोजन ग्रहण करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही आंवले के वृक्ष की पूजा विधि-विधान से की जाती है और उसकी परिक्रमा की जाती है। पूजा में समर्पित श्रंगार सामग्री और वस्त्र किसी गरीब महिला या विद्वान ब्राह्मण को दान कर दिए जाता हैं। इसके साथ ही अपनी श्रद्धानुसार अनाज के दान का भी महत्व है। इस दिन किए गए दान का अक्षय फल प्राप्त होता है।

हाथ में मौली लेकर आंवले के वृक्ष की 8 या 108 परिक्रमा की जाती है। इसके साथ ही जितनी संख्या में परिक्रमा की जाती है उतनी संख्या में किसी वस्तु को भी चढ़ाने का प्रावधान है। सुहाग सामग्री जैसे बिंदी, मेंहदी पैकेट, चूड़ियां चढ़ाने का प्रवधान है, जिसको बाद में सुहागन स्त्रियों को मस्तक पर कुमकुम लगाकर दे दिया जाता है। इसके बाद में आंवला नवमी की कथा का वाचन और श्रवण होता है और आखिर में भोजन ग्रहण किया जाता है।

अक्षय नवमी पूजन मुहूर्त-

आंवला नवमी तिथि – 5 नवंबर 2019

पूजन मुहूर्त – 6 बजकर 45 मिनट से 11 बजकर 54 मिनट तक

कुल अवधि – 5 घंटे 8 मिनट

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