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मौद्रिक नीति समिति : रेपो रेट 6.50 प्रतिशत बढ़ाया

भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो रेट को 0.25 बढ़ाने का फैसला किया है। जिसके बाद अब रेपो रेट 6.50 प्रतिशत हो गया है।

मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक

रेपो रेट 6.50 प्रतिशत हो गया है जिसका इसका सीधा असर जनता की जेब पर पड़ता दिख सकता है। यानी अब आपके लिए कर्ज महंगा होगा और ईएमआई में बढ़ोतरी हो सकती है। साथ ही बैंकों से कर्ज लेना और महंगा होने वाला है। आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक अब खत्म हो गई है।

जून की समीक्षा बैठक में बढे थे रेपो रेट

इससे पहले मौद्रिक नीति समिति ने जून में हुई समीक्षा बैठक में मुख्य ब्याज दर रेपो को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया था। विशेषज्ञों का कहना है कि खरीफ फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि करने के सरकार के फैसले से मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ सकता है। इसके साथ साथ कच्चे तेल की कीमतें भी बढ़कर तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी हैं। कच्चे तेल के लिए आयात पर भारी निर्भरता के कारण इससे भी मुद्रास्फीति और चालू खाता घाटा बढ़ने का जोखिम है।

क्या है रेपो रेट/रिवर्स रेपो रेट/सीआरआर

रेपो दर वो दर है जिस पर रिजर्व बैंक बहुत ही थोड़े समय के लिए बैंकों को कर्ज देता है। इसके अलावा रिवर्स रेपो रेट वो है जिसपर बैंक आरबीआई को कर्ज देते हैं। सीआरआर यानी कैश रिजर्व रेश्यो का अर्थ है कि बैंकों को अपनी पूंजी का कुछ हिस्सा आरबीआई के पास रिजर्व रखना होता है और इसे कैश रिजर्व रेश्यो कहा जाता है।

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