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झालवाड़ में अलग अहसास

झालवाड़ इस छोटे शहर में भव्य विरासत का लुभावना अहसास होता है। यहां का मुख्य आकर्षण शहर के मध्य में स्थित महल है जिसे गढ़ पैलेस कहते हैं। यह काफी विशाल है और इसमें जिला प्रशासन के महत्वपूर्ण कार्यालय हैं। इसके कक्षों की सुंदर चित्र-कला, शीशाकारी एवं सुसज्जित आंतरिक साज-सज्जा आपका मन मोह लेगी। अनुमति लेकर आप इसका अवलोकन कर सकते हैं। जनाना खास पर्यटकों हेतु खुला है, अतः आप इसे सरलता से देख सकते हैं। दर्शनीय स्थलों में राजकीय संग्रहालय भी है, जहां दुर्लभ हस्त-लिपियां और मूर्तियां हैं। भवानी नाट्य शाला, इस क्षेत्र की विख्यात नाट्यशाला है। वैसे तो यह छोटा शहर है जिसमें गढ़ पैलेस, कुछ मंदिर और कुछ दिलचस्प प्राकृतिक नजारे हैं किंतु आप क्षेत्र के अन्य ऐतिहासिक स्थलों को देखने में कई दिन गुजार सकते हैं इनमें हैं रैन-बसेरा (6 किलोमीटर) जोकि काष्ठ निर्मित भवन है। तालाब के किनारे यह जलराशि के साहचर्य में शांति अनुभव करने का नैसर्गिक स्थल है। यहां चन्द्रभागा (7 किलोमीटर) नदी के तट पर सातवीं ई. के सुंदर मंदिर है। झालरापाटन (7 किलोमीटर) दीवारों से रक्षित छोटा शहर है।  यहां का मुख्य आकर्षण दसवीं (10) सदी का भव्य सूर्य मंदिर है। ऐतिहासिक गागरोन किला (14 किलोमीटर) एक पहाड़ी पर स्थित है और आहु और कालीसिंध नदियों से घिरा होने के कारण राजस्थान का एकमात्र जलदुर्ग है। कोलवी गुफाएं (85 किलोमीटर) सातवीं (7) सदी की बौद्ध गुफाएं हैं। आलनिया के शैलाशयों में प्रागैतिहासिक काल के चित्र हैं। कस्बा में आठवीं (8) सदी का प्राचीन शिव मंदिर है। कोटा के उत्तर में रामगढ़ है जहां दसवीं (10) सदी के मंदिर अवशेष दर्शनीय हैं।

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