Breaking News

खंडहर भी मन मोह लेंगे

जम्मू कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर से करीब 29 किमी की दूरी पर जब राष्ट्रीय राजमार्ग पर चलते हैं अनंतनाग जिले की ओर तो अवंतिपुर गांव आता है। पहले कभी अवंतिपुरा के नाम से जाना जाता था यह कस्बा जो आज अवंतिपुर कहलाता है और दरिया जेहलम के किनारे बसा हुआ है। अगर इतिहास के झरोखे में झांकें तो मालूम पड़ता है कि अवंतिपुर की स्थापना महाराजा अवंतिवर्मा ने की थी जिन्होंने सन् 854 से लेकर 883 तक राज किया था कश्मीर पर। अवंतिपुर वैसे भी कश्मीर की प्राचीन राजधानियों में से एक गिनी जाती है लेकिन यह सबसे प्रसिद्ध राजधानी मानी जाती रही है।
इस कस्बे के दो मुख्य आकर्षण, जो आज भी माने जाते हैं, बड़े-बड़े मंदिरों के खंडहर हैं जिन्हें कभी इनके संस्थापक ने सुशोभित किया था। अनंतनाग की ओर बढ़ते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग पर बाएं हाथ पर जो प्रथम खंडहर दिखते हैं वे शिवा-अवंतिस्वर के मंदिर के खंडहर हैं। इस मंदिर की बड़ी-बड़ी दीवारें अवंतिपुर से तीन मील दूर जुरबरोर गांव के बाहर हैं जो बिना आधार के रखी गई हैं तथा अति महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ विशालकाय भी हैं। यह मंदिर जो आज अंग-भंग हो चुका है एक विशाल बरामदे में स्थित था जिसके चारों ओर बड़े-बड़े पत्थरों से दीवार बनाई गई थी और पश्चिमी द्वार की ओर बांसुरी की तरह खम्बे तो थे लेकिन उनमें पीछे की ओर से कोई आला नहीं था।
भीतर प्रवेश का रास्ता इसी दीवार के बीच था जिसे एक अन्य दीवार दो भागों में विभक्त करती है। इसकी दीवारों पर किसी प्रकार की कोई कलाकृतियां नहीं उकेरी गई हैं। इसके आले तथा चैखटें पूरी तरह से सादे हैं जिन पर कोई कलाकृति नजर नहीं आती।

About Samar Saleel

Check Also

क्या हो अगर चोट-घाव से बंद ही न हो ब्लीडिंग? जानलेवा हो सकती है हीमोफीलिया की समस्या

शरीर में चोट लगने, कहीं कट जाने पर खून निकलता है, हालांकि कुछ ही समय ...