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19 गांवों को डिजिटल गांव के लिए चुना गया,Nagla Hareru पहला कैशलेस गांव

लखनऊ। केंद्रीय वस्त्र मंत्री स्मृति ईरानी ने बीते सप्ताह को अमेठी के पिंडारा ठाकुर गांव को ‘डिजिटल गांव’ घोषित किया। आपको बता दें मेरठ जनपद के नगला हरेरू Nagla Hareru गांव को पूर्व में उप्र का पहला कैशलेस गांव घोषित किया जा चुका है। पिंडारा ठाकुर गांव में केंद्र और राज्य सरकार के 206 से अधिक कार्यक्रम ऑनलाइन उपलब्ध होंगे। बैंकिंग से लेकर अन्य सुविधाएं डिजिटल होंगी। केंद्रीय मंत्री ने इसे बड़ी उपलब्धि बताया है। लेकिन इसके पहले उप्र में देश का पहला डिजिटल पिंक विलेज और देश का पहला स्वच्छ मिशन गांव घोषित हो चुका है। उप्र में कुल 19 गांवों को डिजिटल गांव के लिए चुना गया था। आइए जानते हैं कि आखिर डिजिटल विलेज, पिंक विलेज और स्वच्छता मिशन विलेज की क्या है खासियत और इन गांवों को क्या मिलती हैं सहूलियतें।

Nagla Hareru प्रदेश का पहला कैशलेस गांव

मेरठ का नगला हरेरू गांव उप्र का पहला कैशलेस गांव है। गांव को पंजाब नेशनल बैंक ने गोद लिया था। गांव के सभी लोग कैशलेस पेमेंट करते हैं। सभी भुगतान डिजिटल तरीके से होते हैं। गांव की आबादी लगभग 7 हजार है। जिसमें से 4500 के बैंक खाते हैं। इन खाता धारकों में से 2 हजार से अधिक के पास एटीएम और रूपे डेबिट कार्ड हैं। 400 खाता धारकों के मोबाइल फोन में पीएनबी किटी यानी डिजिटल बटुआ है। गांव के 30-35 दुकानदार डिजिटल बैंकिंग चैनलों से सुविधाजनक रूप से लेनदेन करते हैं। यहां तक कि सब्जियां तक भी ऑनलाइन और कैशलेस बेची जाती हैं।

सबरकांत देश का पहला डिजिटल गांव

दो साल पहले गुजरात के सबरकांत जिले का अकोदरा गांव देश का पहला डिजिटल गांव बना था। तब इस गांव की खूबियों की चर्चा पूरे देश में हुई थी।सबरकांत गांव की 1,191 आबादी आज अपने सभी कार्यों के लिए कैशलेस सिस्टम का उपयोग करती है। गांव के हर घर का बैंक में खाता है। गांव की अपनी वेबसाइट है। ग्रामीण अनाज और दूध को लोकल मंडी में कैशलैस बेचते हैं। प्राइमरी, सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी स्कूल में स्मार्ट बोर्ड, कंप्यूटर और टैबलेट्स हैं। सभी कार्यों को डिजिटली अंजाम दिया जाता है। कहने का मतलब यह कि डिजिटल इंडिया का सपना अब गांवों में भी साकार हो रहा है।

पहला डिजिटल पिंक विलेज हसुड़ी औसानपुर

उप्र के सिद्धार्थ नगर जिले का हसुड़ी औसानपुर गांव देश का पहला डिजिटल पिंक विलेज है। गांव की प्रत्येक जानकारी जीआईएस (जियोग्राफिकल इनफार्मेशन सिस्टम) सॉफ्टवेयर पर है। ग्राम प्रधान दिलीप त्रिपाठी की पहल से पूरा गांव महिलाओं को समर्पित है। गांव की आबादी 1124 है। पंचायत का सालाना बजट सिर्फ 5 लाख है। फिर भी पूरा गांव वाई-फाई है। सरकारी स्कूल में शौचालय,लाइब्रेरी और सीसीटीवी है। हर दूसरे घर के बाहर कूड़ादान है। पूरे गांव में 23 सीसीटीवी कैमरे हैं। हर गली-मोहल्ले में सोलर लाइट है। चौराहों पर लाउडस्पीकर लगें हैं। हर घर में शौचालय है। गांव में ही कंप्यूटर सेंटर और सिलाई सेंटर भी हैं। बारिश के पानी को एकत्र कर फिर से इस्तेमाल में लाने का भी सिस्टम गांव में है। गांव का हर घर पिंक कलर में है। हर गली भी गुलाबी रंग में रंगी हुई है। यही नहीं गांव के हर घर की नेमप्लेट पर घर की बेटी का नाम लिखने का क्रम जारी है। कुल मिलाकर महिलाओं के रंग का प्रतीक गांव में घुसते ही दिख जाता है। इस अनूठे काम के लिए यहां के ग्राम प्रधान को प्रधानमंत्री ने नाना जी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम पुरस्कार और दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरुस्कार से सम्मानित किया है।

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देश का पहला आत्मनिर्भर गांव होगा पिंडारा ठाकुर

अमेठी का पिंडारा ठाकुर गांव देश का ऐसा डिजिटल गांव होगा जो पूरी तरह से आत्मनिर्भर होगा। इस गांव का चयन सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सामान्य सेवा केंद्र के रूप में किया गया है। डिजिटल इंडिया पहल के तहत इस गांव में डिजिटल गांव परियोजना के तहत 206 कार्यक्रम उपलब्ध होंगे। इसमें वाई-फाई चौपाल, एलईडी बल्बों के विनिर्माण, सैनिटरी पैड बनाने की एक इकाई और पीएम डिजिटल लिटरेसी पहल शामिल है। डिजिटल बैंकिंग के साथ गांव की जरूरत गांव में ही पूरा करने के प्रयास होंगे।

लतीफपुर था यूपी का पहला डिजिटल गांव

उप्र का पहला डिजिटल गांव लखनऊ के माल ब्लॉक का लतीफपुर गांव था। इस गांव की सारी चीजें इन्टरनेट पर हैं। 1600 परिवारों के इस गांव में 198 लोगों को पेंशन मिल रही है। 80 प्रतिशत लोगों के पास राशन कार्ड है। गांव की सभी समस्याएं ऑनलाइन दर्ज होती हैं। ग्राम पंचायत का खुद का इन्टरनेट कनेक्शन है जो 21.1 एमबीपीएस स्पीड पर चलता है। डिजिटल लतीफपुर वाट्सएप ग्रुप से गांव के लेखपाल, पंचायत सेक्रेट्री,ग्रामप्रधान समेत गांव के लोग जुड़े हैं। वॉइस मेसेज या विडियो बनाकर इस ग्रुप में समस्याएं भेजी जाती हैं। गांव में डोरस्टेप बैंकिंग की सुविधा है। बैंक कर्मचारी खुद घर पहुंचते हैं और जरूरतमंद से अंगूठा लगवाकर पैसे देते हैं। गांव के सभी सरकारी काम पेपरलेस हो चुके हैं। यहां महिला प्रधान श्वेता सिंह को उत्तर प्रदेश सरकार ने रानी लक्ष्मी बाई अवार्ड से सम्मानित किया।

उप्र का पहला खुले में शौच मुक्ति गांव तौदधकपुर

रायबरेली के लालगंज ब्लॉक का तौधकपुर गांव उप्र का पहला ऐसा गांव है जो खुले में शौच से मुक्ति यानी पूर्ण ओडीएफ गांव है। यह स्वच्छ भारत मिशन को सही मायने में चरितार्थ कर रहा है। ग्राम प्रधान कार्तिकेय बाजपेई ने खुद की व्यवस्था से स्वच्छता मिशन पर बहुत सराहनीय काम किया है। 3500 की आबादी वाले गांव के हर घर में शौचालय है।कोई आदमी खुले में तो शौच नहीं कर रहा उसकी निगरानी के लिए कैमरे लगे हैं। शौचालयों में रंगाई-पुताई के साथ ही जागरूकता स्लोगन लिखे हैं। बिजली के खंभों पर सीसीटीवी कैमरे, लाउडस्पीकर लगे हैं। प्रधान एक कंट्रोल रूम से इसकी निगरानी करते हैं। पूरे गांव को स्मार्ट गांव बनाने की कवायद जारी है।

अतुल मोहन
अतुल मोहन

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