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पेड़ बन आॅक्सीजन देती हैं ये Eco-Friendly राखियां

रक्षाबंधन पर्व पर भाई-बहन के प्यार को दर्शाने के लिए बाजार में तरह-तरह की खूबसूरत राखियां सजी हैं। इनमें वो राखियां भी शामिल हैं जो हरे-भरे पेड़ (Eco-Friendly) बन जाती है। अब आप सोच रहे होंगे कि एेसी कौन सी राखियां है।

Eco-Friendly : किसान साल भर करते हैं मेहनत

हो सकता है आप भी हरे-भरे पेड़ बन जाने वाली राखी के बारे में सुनकर हैरान हो जाएं लेकिन यह सच है। महाराष्ट्र के अकोला और वर्धा जिले में बड़े स्तर पर इन्हें तैयार किया जाता है। इन राखियों को बनाने के लिए यहां किसान साल भर मेहनत करते हैं। वहीं रक्षाबंधन से महीनों पहले इस काम में बड़ी संख्या में लोग लग जाते हैं। महिलाएं घर बैठे एक से बढ़कर एक खूबसूरत राखियां बनाती हैं। हरे-भरे पेड़ बन जाने वाली इन राखियों को देश के अलग-अलग इलाकों में भेजा जाता है।

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दाल आैर बीज की राखी

कपास, बीज, दाल आदि से बनी ये इको फ्रेंडली राखियां बाजार में आसानी से उपलब्ध है। ये आम राखियों की तरह ही देखने में बेहद खूबसूरत होती है। इनकी डोरी कपास से बनी होती है। इनमें नग व पत्थर की जगह दाल आैर बीज से सजावट होती है। एेसे में इन राखियों में प्लास्टिक न होने से ये पर्यावरण के लिए नुकसान दायक नहीं होती हैं। खास बात तो यह है कि इन्हें त्योहार के बाद इधर-उधर फेंकने के बजाय किसी गमले या फिर खेत में डालने पर दाल आैर बीज से पौधे उग आते हैं।

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