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SSP की पड़ताल में सामने आई 3 थानों की डेढ़ करोड़ की काली कमाई

SSP की पड़ताल में डेढ़ करोड़ की काली कमाई का राजफाश मात्र 3 थानों की रिपोर्ट में सामने आया। इस मामले में जब पूरा मामला खुलकर सामने आया तो SSP के भी होश उड़ गये। गाजियाबाद में जो पड़ताल सामने आई है उसमें कोतवाल, थानेदार, दारोगा, हवलदार-सिपाही से ही काली कमाई करने का सारा मामला खुलकर सामने आ गया। पड़ताल में ‘पड़तालियों’ की अपनी ही भीड़ आरोपी निकली। इसमें एक ढ़ूंढ़ने निकले तो बतौर ‘आरोपी’ एक के बजाय तीन-तीन और चार-चार पुलिस के जवान ही सामने आये। ऐसे में जो, खुद ‘पड़ताली’ थे। जिनके विश्वास पर पब्लिक रात को घरों में चैन से सोती थी। जिनके कंधों पर कानून के हिफाजत की जिम्मेदारी थी।

  • वही कानून के घेरे में दिखाई पड़े।
  • जिसकी हवा यूपी पुलिस महानिदेशक कार्यालय से लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के साथ देश के कोने कोने में दिखाई पड़ी।

SSP, अनजान टेलीफोन-कॉल की शिकायत के संज्ञान लेने पर सामने आया मामला

पिछले महीने के शुरुआती दिनों में एक शाम जब गाजियाबाद जिला कप्तान को किसी ने फोन किया और पूरा मामला बताया तो सारा राज खुलकर सामने आया। फोन करने वाले ने बताया कि ‘तुम्हारे जिले के तीन थानों कवि नगर, मसूरी और विजय नगर की पुलिस लोहे के सरिया की लूटपाट के काले-कारोबार में शामिल संगठित गिरोह को पालने-पोसने में दिन-रात एक किए है। कोतवाल, थानेदार, हवलदार-मुंशी-सिपाही। सब के सब ‘पुलिसिंग’ छोड़कर लोहा-सरिया लूटने-लुटवाने के कारोबार को बढ़ाने-बढ़वाने में खून-पसीना दिन-रात एक किये हैं। क्या पुलिस का यही काम है!’ इस पर पहली नज़र में फोन कॉल किसी सिरफिरे की हरकत लगी। लेकिन उसके बावजूद पुष्टि के लिए कप्तान वैभव कृष्ण (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक) ने उस नंबर पर कॉल-बैक करवाया तो पता चला कि फोन एक पीसीओ से किया गया था। फोन पीसीओ से किया जाना इस बात का संकेत लगा कि, सूचना में दम है।

  • लेकिन खबर देने वाला सामने आना नहीं चाहता है।

खाकी की आबरु बचाने को कप्तान ही बने जब ‘पड़ताली’

बात जिला और सूबे (उत्तर प्रदेश पुलिस) की पुलिस की इज्जत-बेज्जती की थी। लिहाजा बिना किसी को कुछ बताए एसएसपी ने बहैसियत ‘पड़ताली’ इस काले-कारोबार की ‘पड़ताल’ का बोझ खुद के कंधों पर ही रखने की ठानी। कुछ विश्वासपात्र सिपहसालारों के साथ उन्होंने विश्वासपात्र 4 टीमों में बांटे गए थे।

पड़ताली टीमोें के उड़े होश

पड़ताल के लिए चारों पड़ताली टीमों का नेतृत्व एसएसपी वैभव कृष्ण खुद कर रहे थे। अपराधियों के संगठित गिरोह को संचालित कराने में गाजियाबाद पुलिस कप्तान के ही कई आला अफसर शिकंजे में फंसकर ठिकाने लगने वाले थे। ऐसे में कप्तान की टीम में शामिल विश्वासपात्र मातहतों में अधिकांश की मनोदशा अजीबो-गरीब थी। उनके होश उड़े हुए थे। उसकी टीम के किसी सदस्य की गलती का मतलब बिना आगे-पीछे देखे-समझे सीधे सजा तय थी।

  • दूसरी ओर शिकार के रूप में सामने थे अपराधियों-जालसाजों के मददगार वे मास्टर-माइंड पुलिस वाले ‘उस्ताद’ जो, दौलत की चाहत में वर्दी की इज्जत को नेशनल हाईवे-24 पर सरे-राह तार-तार करवाने का काला-कारोबार करने में दिन-रात पसीना बहा रहे थे।
  • पुलिस और पब्लिक की ‘चाकरी’ और ‘विश्वास’ को सरकारी पुलिसिया बूटों की एड़ियों के नीचे रौंदने में लगे थे।
एसएसपी की पड़ताल में भंडाफोड़ का हुआ खुलासा

रातभर चली पड़ताल और छापेमारी में पुलिस टीमों ने 16 ट्रक, 393 टन और 275 किलोग्राम लूटी गई सरिया (गोदामों में छिपाकर रखी गई थी), करीब 50 हजार रुपए नकद, 24 मोबाइल फोन, 6 रिमोट, 2 इलैक्ट्रॉनिक चिप जब्त की गई है। हर रोज हाईवे पर हो रहे करोड़ों के वारे-न्यारे के इस काले कारोबार में ट्रकों का वजन जिन धर्मकांटों पर किया जा रहा था। वे भी इस मामले के भंडाफोड़ के बाद ‘धर्म-संकट’ में फंस गए हैं।

जेल में बंद सुंदर भाटी और अनिल दुजाना से पूछताछ

गाजियाबाद पुलिस की मिलीभगत से चल रहे लोहा लूट के इस काले कारोबार में पुलिस अब जेल में बंद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात बदमाश सुंदर भाटी, अनिल दुजाना और उनके गैंगस्टरों से भी पूछताछ करने की तैयारी की जा रही है। सूत्रों के अनुसार यह गिरोह सरिया भरकर आने वाले ट्रक ड्राईवरों को जान से मारने की धमकी देकर भी लूटपाट करवा रहे थे।

  • इस मामले में थाना विजय नगर में ही एफआईआर नंबर 656/18 पर आईपीसी की धारा 420/386/411/413/226/34 के अंतर्गत आपराधिक मामला दर्ज करके पड़ताल जारी रखी गई।
  • गाजियाबाद जिला और यूपी पुलिस में भले ही इस पड़ताल को लेकर कोहराम मचा है। इस मामले में 43 लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया है।

पड़ताली अफसर हैं वैभव कृष्ण, पहले भी कई थानों के खिलाफ खोल चुके हैं मोर्चा

पड़ताली अफसर एसएसपी वैभव कृष्ण 2010 बैच के यूपी कैडर के आईपीएस हैं। पेशेवर डॉक्टर के. के. शर्मा के पुत्र वैभव कृष्ण का जन्म 12 दिसंबर 1983 को बड़ौत, जिला बागपत, उत्तर प्रदेश से हैं। उन्हें पहली पोस्टिंग यूपी के ही गाजीपुर जिले में पुलिस अधीक्षक पद पर मिली।

  • वर्ष 2016 में बुलंदशहर में हुए सनसनीखेज हाईवे गैंग-रेप कांड में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एसएसपी वैभव कृष्ण को सस्पेंड करके यूपी पुलिस महकमे को हिला दिया था।
  • फिलहाल गाजियाबाद में एसएसपी की चंद दिन की नौकरी में ही अपने की कई थानों के इंचार्जों के खिलाफ ‘पड़ताल’ का मोर्चा खोलकर अब वैभव कृष्ण दुबारा महकमे में चर्चा में रह चुके हैं।

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