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उपचुनावों में BSP प्रमुख माया अब नहीं थामेंगी किसी का दामन

BSP मायावती ने कहा कि अब वह किसी उपचुनाव में किसी पार्टी का सहयोग नहीं करेंगी। गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव के बाद अब मायावती का नजरिया बदल गया है। राज्यसभा में बसपा जिस उम्मीद के साथ सपा के साथ गठबंधन किया था। उसका असर भी अब सामने दिख रहा है। 2014 के लोकसभा चुनावों से राजनीतिक मझदार में फंसीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा-बसपा गठबंधन के साथ राजनीति की मुख्यधारा में एक बार फिर वापसी की है। सोमवार शाम मायावती की ओर से जारी एक प्रेस रिलीज जारी की गई है। जिसमें साफ उन्होंने कहा कि बीएसपी अब किसी उपचुनाव में किसी भी दल की मदद नहीं करेगी।

BSP, कैराना और नूरपुर उपचुनाव देख दलित राजनीति की चाल

उत्तर प्रदेश में कैराना की लोकसभा सीट और नूरपुर की विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। जिसे देखते हुए मायावती ने निर्णय लिया है कि वह किसी पार्टी के साथ उपचुनाव में गठबंधन नहीं करेगी। वह दोनों चुनावों में दलितों को अपनी ओर करने की कोशिश में हैं।

मायावती के 10 दिनों की बदलती तस्वीर

वहीं अगर मायावती के पिछले 10 दिनों में दो बार दिए गए बयानों पर गौर करें तो उन्होंने साफ किया है कि सपा के साथ उनका गठबंधन आगे भी चलता रहेगा और पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव भी गठबंधन के साथ ही मजबूती से लड़ने जा रही हैं। यह अलग बात है कि मायावती शुरू से ही गठबंधन के खिलाफ रही हैं। इसके साथ चुनाव से पहले गठबंधन की राजनीति में दिलचस्पी नहीं ली। लेकिन वह ऐन समय पर ऐसा कदम उठाने में भी नहीं पीछे हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में अखिलेश के नेतृत्व में वह काम कर सकती हैं।

गठबंधन की तस्वीर

2019 लोकसभा के चुनावों को लेकर सपा और बसपा में अभी सीटों को लेकर बंटवारा होना बाकी है, लेकिन सूत्रों के अनुसार मायावती और अखिलेश इस बात पर सहमत होते दिख रहे हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन का चेहरा मायावती ही होंगी, जबकि अखिलेश उत्तर प्रदेश में नेतृत्व करेंगे।

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