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चार दशक में दस हजार मौतें

गोरखपुर। पूर्वांचल में मासूमो को अपना शिकार बनाने वाली इंसेफेलाइटिस बीमारी करीब चार दशक से कहर बरफा रही है इसे नवकी बीमारी या दिमागी बुखार के नाम से पहचाना जाता हैअब तक करीब दस हजार मासूमो की जान लेने वाली इस बीमारी के सटीक कारणों को लेकर वैज्ञानिकों ने कई थ्यौरी पेश की लेकिन ष्कातिल वायरस का अब तक पता नही चलसका पूर्वांचल में पहली बार बर्ष 1978 में इस बीमारी के प्रकोप का पता चला उस बर्ष 274 बच्चे बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती हुए जिसमें से 58 की मौत हो गई तब से लेकर आज तक इस बीमारी से बीआरडी में करीब चालीस हजार से अधिक मरीज भर्ती हो चुके है जिनमें से तकरीबन दस हजार मरीजो की मौत हो चुकी है बर्ष 1978 से 2004 तक इस बीमारी से पीड़ित मरीजो की संख्या एक हजार से कम रही बर्ष 2005 में इस बीमारी का सबसे भयानक कहर पूर्वांचल ने झेला इस बीमारी का प्रकोप पूर्वी यूपी के 28 जिलो के अलावा पश्चमी बिहार और नेपाल के तराई क्षेत्रो में देखने को मिलता है।काश हर माह मेडिकल कांलेज आते मुख्यमंत्री-इंसेफेलाइटिसरीजो के दबाव से जूझ रहे बीआरडी की सूरत बदल गई है सीएम के प्रस्तावित दौरे की सूचना मिलने के बाद अस्पताल में साफ-सफाई हो रही है आलम यह है कि सभी वार्डो में वृहद स्वच्छता अभियान चलाया गया है सीएम आज यानि बुधवार को बीआरडी मेडिकल कालेज का दौरा करेगे वह इंसेफेलाइटिस वार्ड का निरीक्षण करने के साथ ही वार्ड 100 बेड में बन रहे हाई डिपेडेंसी यूनिट कालोकार्पण करेगे।बीते चार दशक में सामने आई हैं यह थ्यौरी-बीआरडी मेडिकल कालेज में दो दशक तक तो नवकी बीमारी या दिमागी बुखार ही इसकी पहचान रही 90 दशक के अंत में पहली बार इस बात की तस्दीक हुई कि बीमार बच्चो में फ्लेवी वायरस से हो रहा है इस वायरस की पहली बार पहचान जापान में हुईइसलिए इसे जापानी इंसेफेलाइटिस भी कहते है यह वायरस सुअर और बगुला से होता है मच्छर जब सुअर या बगुला का खून चूसता है तो वायरस उसके शरीर में आ जाता है यही मच्छर जब इंसानो का खून चूसता है तो वायरस इंसानों के शरीर मेंप्रवेस कर जाता है।
इंसेफेलाइटिस से प्रभावित जिले :- गोरखपुर,कुशीनगर,महराजगंज,देवरिया,बस्ती,संतकबीरनगर,सिद्धार्थनगर,गोंडा,आजमगढ,बलरामपुर,मऊ,बलिया,गाजीपुर,श्रावस्ती,फैजाबाद,अम्बेडकर नगर,शाहजहापुर,इलाहाबाद,बहराइच,बिहार व नेपाल प्रभावित है।

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