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तमिलनाडु: CBSE एग्जाम में दलित-मुस्लिमों को लेकर पूछा घटिया सवाल, मचा बवाल

तमिलनाडु में छठी कक्षा की परीक्षा में पूछे गए एक सवाल को लेकर विवाद पैदा हो गया। परीक्षा में कथित तौर पर पूछा गया कि क्या दलित अछूत होते हैं? यह प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वायरल प्रश्नपत्र की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।

इंटरनेट पर जो प्रश्नपत्र वायरल हो रहा है वह केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के स्कूल से जुड़ा बताया जा रहा है। हालांकि केवीएस ने इस प्रश्नपत्र को फर्जी करार दिया है। वहीं सीबीएसई ने कहा है कि आंतरिक परीक्षाओं में सवाल तैयार करने में उसकी कोई भूमिका नहीं होती है।

वहीं पार्टियों ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड पर कथित तौर पर मुस्लिमों और दलितों के प्रति रूढ़िवादी चीजें थोपने का आरोप लगाया।

दलित और मुसलमानों पर दो मल्टीपल चॉइस सवालों ने सोशल मीडिया पर बवाल खड़ा कर दिया है। लोग सीबीएसई से क्वेश्चन पेपर तैयार करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। जो क्वेश्चन पेपर इंटरनेट पर वायरल हो रहा है वह केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) का बताया जा रहा है। कथित तौर पर सामाजिक विज्ञान की किताब के चैप्टर दो पर आधारित प्रश्न ‘विविधता और भेदभाव’ पर आधारित थे। वहीं सीबीएसई ने बयान में इस क्वेश्चन पेपर को फर्जी बताते हुए कहा कि आंतरिक परीक्षाओं में सवाल तैयार करने में उसकी कोई भूमिका नहीं होती।

यह थे सवालतमिलनाडु में छठी कक्षा की परीक्षा में पूछे गए एक सवाल को लेकर विवाद पैदा हो गया। परीक्षा में कथित तौर पर पूछा गया कि क्या दलित अछूत होते हैं? यह प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वायरल प्रश्नपत्र की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।

इंटरनेट पर जो प्रश्नपत्र वायरल हो रहा है वह केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के स्कूल से जुड़ा बताया जा रहा है। हालांकि केवीएस ने इस प्रश्नपत्र को फर्जी करार दिया है। वहीं सीबीएसई ने कहा है कि आंतरिक परीक्षाओं में सवाल तैयार करने में उसकी कोई भूमिका नहीं होती है।

वहीं पार्टियों ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड पर कथित तौर पर मुस्लिमों और दलितों के प्रति रूढ़िवादी चीजें थोपने का आरोप लगाया।

दलित और मुसलमानों पर दो मल्टीपल चॉइस सवालों ने सोशल मीडिया पर बवाल खड़ा कर दिया है। लोग सीबीएसई से क्वेश्चन पेपर तैयार करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। जो क्वेश्चन पेपर इंटरनेट पर वायरल हो रहा है वह केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) का बताया जा रहा है। कथित तौर पर सामाजिक विज्ञान की किताब के चैप्टर दो पर आधारित प्रश्न ‘विविधता और भेदभाव’ पर आधारित थे। वहीं सीबीएसई ने बयान में इस क्वेश्चन पेपर को फर्जी बताते हुए कहा कि आंतरिक परीक्षाओं में सवाल तैयार करने में उसकी कोई भूमिका नहीं होती।

यह थे सवाल

एक सवाल में पूछा गया- दलित से आप क्या समझते हैं। विकल्प दिए गए- विदेशी, अछूत, मिडिल क्लास और अपर क्लास। दूसरे सवाल में पूछा गया- मुसलमानों के बारे में आम रूढ़ि क्या है? विकल्प थे-1. वे अपनी लड़कियों को स्कूल नहीं भेजते। 2. ये पूर्ण शाकाहारी होते हैं. 3। वे रोजा के वक्त सोते नहीं हैं। 4. उपरोक्त सभी।

डीएमके और अन्य पार्टियों ने किया विरोध

डीएमके चीफ एमके स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, ‘केंद्रीय विद्यालय की छठी क्लास में पूछे गए सवाल को देखकर स्तब्ध हूं। यह सवाल जातिगत भेदभाव और सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा करता है। इस प्रश्न पत्र को बनाने में जिसका भी हाथ हो उसके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।’ वहीं एएमएमके नेता टीटीवी दिनाकरण ने सीबीएसई की निंदा करते हुए कहा, ‘मैं इस तरह के संवेदनशील विषय पर बिना सामान्य समझ के पूछे गए इस सवाल की निंदा करता हूं, यह बिल्कुल भी नहीं सोचा गया कि यह सवाल छात्र-छात्राओं के दिमाग पर क्या असर करेगा।’ एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी ट्वीट में इस प्रश्नपत्र की कड़ी निंदा की।तमिलनाडु में छठी कक्षा की परीक्षा में पूछे गए एक सवाल को लेकर विवाद पैदा हो गया। परीक्षा में कथित तौर पर पूछा गया कि क्या दलित अछूत होते हैं? यह प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वायरल प्रश्नपत्र की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।

इंटरनेट पर जो प्रश्नपत्र वायरल हो रहा है वह केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के स्कूल से जुड़ा बताया जा रहा है। हालांकि केवीएस ने इस प्रश्नपत्र को फर्जी करार दिया है। वहीं सीबीएसई ने कहा है कि आंतरिक परीक्षाओं में सवाल तैयार करने में उसकी कोई भूमिका नहीं होती है।

वहीं पार्टियों ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड पर कथित तौर पर मुस्लिमों और दलितों के प्रति रूढ़िवादी चीजें थोपने का आरोप लगाया।

दलित और मुसलमानों पर दो मल्टीपल चॉइस सवालों ने सोशल मीडिया पर बवाल खड़ा कर दिया है। लोग सीबीएसई से क्वेश्चन पेपर तैयार करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। जो क्वेश्चन पेपर इंटरनेट पर वायरल हो रहा है वह केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) का बताया जा रहा है। कथित तौर पर सामाजिक विज्ञान की किताब के चैप्टर दो पर आधारित प्रश्न ‘विविधता और भेदभाव’ पर आधारित थे। वहीं सीबीएसई ने बयान में इस क्वेश्चन पेपर को फर्जी बताते हुए कहा कि आंतरिक परीक्षाओं में सवाल तैयार करने में उसकी कोई भूमिका नहीं होती।

यह थे सवाल

एक सवाल में पूछा गया- दलित से आप क्या समझते हैं। विकल्प दिए गए- विदेशी, अछूत, मिडिल क्लास और अपर क्लास। दूसरे सवाल में पूछा गया- मुसलमानों के बारे में आम रूढ़ि क्या है? विकल्प थे-1. वे अपनी लड़कियों को स्कूल नहीं भेजते। 2. ये पूर्ण शाकाहारी होते हैं. 3। वे रोजा के वक्त सोते नहीं हैं। 4. उपरोक्त सभी।

डीएमके और अन्य पार्टियों ने किया विरोध

डीएमके चीफ एमके स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, ‘केंद्रीय विद्यालय की छठी क्लास में पूछे गए सवाल को देखकर स्तब्ध हूं। यह सवाल जातिगत भेदभाव और सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा करता है। इस प्रश्न पत्र को बनाने में जिसका भी हाथ हो उसके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।’ वहीं एएमएमके नेता टीटीवी दिनाकरण ने सीबीएसई की निंदा करते हुए कहा, ‘मैं इस तरह के संवेदनशील विषय पर बिना सामान्य समझ के पूछे गए इस सवाल की निंदा करता हूं, यह बिल्कुल भी नहीं सोचा गया कि यह सवाल छात्र-छात्राओं के दिमाग पर क्या असर करेगा।’ एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी ट्वीट में इस प्रश्नपत्र की कड़ी निंदा की।तमिलनाडु में छठी कक्षा की परीक्षा में पूछे गए एक सवाल को लेकर विवाद पैदा हो गया। परीक्षा में कथित तौर पर पूछा गया कि क्या दलित अछूत होते हैं? यह प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वायरल प्रश्नपत्र की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।

इंटरनेट पर जो प्रश्नपत्र वायरल हो रहा है वह केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के स्कूल से जुड़ा बताया जा रहा है। हालांकि केवीएस ने इस प्रश्नपत्र को फर्जी करार दिया है। वहीं सीबीएसई ने कहा है कि आंतरिक परीक्षाओं में सवाल तैयार करने में उसकी कोई भूमिका नहीं होती है।

वहीं पार्टियों ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड पर कथित तौर पर मुस्लिमों और दलितों के प्रति रूढ़िवादी चीजें थोपने का आरोप लगाया।

दलित और मुसलमानों पर दो मल्टीपल चॉइस सवालों ने सोशल मीडिया पर बवाल खड़ा कर दिया है। लोग सीबीएसई से क्वेश्चन पेपर तैयार करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। जो क्वेश्चन पेपर इंटरनेट पर वायरल हो रहा है वह केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) का बताया जा रहा है। कथित तौर पर सामाजिक विज्ञान की किताब के चैप्टर दो पर आधारित प्रश्न ‘विविधता और भेदभाव’ पर आधारित थे। वहीं सीबीएसई ने बयान में इस क्वेश्चन पेपर को फर्जी बताते हुए कहा कि आंतरिक परीक्षाओं में सवाल तैयार करने में उसकी कोई भूमिका नहीं होती।

यह थे सवाल

एक सवाल में पूछा गया- दलित से आप क्या समझते हैं। विकल्प दिए गए- विदेशी, अछूत, मिडिल क्लास और अपर क्लास। दूसरे सवाल में पूछा गया- मुसलमानों के बारे में आम रूढ़ि क्या है? विकल्प थे-1. वे अपनी लड़कियों को स्कूल नहीं भेजते। 2. ये पूर्ण शाकाहारी होते हैं. 3। वे रोजा के वक्त सोते नहीं हैं। 4. उपरोक्त सभी।

डीएमके और अन्य पार्टियों ने किया विरोध

डीएमके चीफ एमके स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, ‘केंद्रीय विद्यालय की छठी क्लास में पूछे गए सवाल को देखकर स्तब्ध हूं। यह सवाल जातिगत भेदभाव और सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा करता है। इस प्रश्न पत्र को बनाने में जिसका भी हाथ हो उसके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।’ वहीं एएमएमके नेता टीटीवी दिनाकरण ने सीबीएसई की निंदा करते हुए कहा, ‘मैं इस तरह के संवेदनशील विषय पर बिना सामान्य समझ के पूछे गए इस सवाल की निंदा करता हूं, यह बिल्कुल भी नहीं सोचा गया कि यह सवाल छात्र-छात्राओं के दिमाग पर क्या असर करेगा।’ एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी ट्वीट में इस प्रश्नपत्र की कड़ी निंदा की।

एक सवाल में पूछा गया- दलित से आप क्या समझते हैं। विकल्प दिए गए- विदेशी, अछूत, मिडिल क्लास और अपर क्लास। दूसरे सवाल में पूछा गया- मुसलमानों के बारे में आम रूढ़ि क्या है? विकल्प थे-1. वे अपनी लड़कियों को स्कूल नहीं भेजते। 2. ये पूर्ण शाकाहारी होते हैं. 3। वे रोजा के वक्त सोते नहीं हैं। 4. उपरोक्त सभी।

डीएमके और अन्य पार्टियों ने किया विरोध

डीएमके चीफ एमके स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, ‘केंद्रीय विद्यालय की छठी क्लास में पूछे गए सवाल को देखकर स्तब्ध हूं। यह सवाल जातिगत भेदभाव और सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा करता है। इस प्रश्न पत्र को बनाने में जिसका भी हाथ हो उसके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।’ वहीं एएमएमके नेता टीटीवी दिनाकरण ने सीबीएसई की निंदा करते हुए कहा, ‘मैं इस तरह के संवेदनशील विषय पर बिना सामान्य समझ के पूछे गए इस सवाल की निंदा करता हूं, यह बिल्कुल भी नहीं सोचा गया कि यह सवाल छात्र-छात्राओं के दिमाग पर क्या असर करेगा।’ एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी ट्वीट में इस प्रश्नपत्र की कड़ी निंदा की।

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