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पूजा का पर्व है ओणम,जानिए इसकी परंपरा…

केरल के प्रमुख त्यौहारों में से एक है ओणम है। यह पर्व केरल में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन केरलवासी अपने परंपरागत लिबास में इस पर्व को मनाते हैं और देवता को लोक व्यंजन प्रस्तुत करते हैं। भारतवर्ष में कई पर्व और त्यौहार मनाए जाते हैं। ऐसा ही एक त्यौहार ओणम है, जिसको लेकर केरल में विशेष उत्साह देखा जा रहा है। केरल के एक राजा महाबलि की स्मृति में इस त्यौहार को मनाया जाता है। ओणम सदियों से चली आ रही परंपराओं और रीति-रिवाजों के अनुरूप मनाया जाता है।

ओणम पर दक्षिण भारतीय युवतियां अपने घर की दहलीज को फूलों से सजाती है और राजा महाबलि को प्रसन्न करने के लिए खट्ठे-मीठे व्यंजनों को बनाती है। इन व्यंजनों में देसी स्वाद की महक होती है और केरल की परंपरा के रंग इसमें घुले हुए होते हैं। देवता को समर्पित करने के बाद इन व्यंजनों को सामूहिक भोज के रूप में ग्रहण किया जाता है। चूंकि यह त्योहार दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, इसलिए इसे उत्सव के रूप में मनाया जाता है। सुबह से ही घरों की साफ-सफाई कर दक्षिण भारतीय परिवारों ने आज राजा महाबलि की याद में तमाम तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं।

मान्यता है कि राजा महाबलि के शासन में रोज हजारों तरह के स्वादिष्ट पकवान व व्यंजन बनाए जाते थे। चूंकि महाबलि साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने आते हैं, इसलिए उनके प्रसाद के लिए कई तरह के लजीज व्यंजनों को बनाया जाता हैं।

मलयाली पंचांग के अनुसार कोलावर्षम के पहले महिने छिंगम में ओणम का पर्व मनाया जाता है। छिंगम अंग्रेजी महिने अगस्त से सितंबर के बीच आता है। इस बार ओणम का पर्व 11 सितंबर बुधवार को मनाया जाएगा। हिंदू पंचाग के अनुसार सूर्य जब सिंह राशि व श्रवण नक्षत्र में होता है तब ओणम का त्यौहार मनाया जाता है। सूर्य के इस संयोग से दस दिन पहले ही ओणम पर्व की तैयारियां केरल में शुरु हो जाती हैं| प्राचीन परंपरा के अनुसार यह त्यौहार हस्त नक्षत्र से शुरू होकर श्रवण नक्षत्र तक मनाया जाता है| ओणम के पहले दिन को अथम और उत्सव के समापन यानि अंतिम दिन को थिरुओनम या तिरुओणम कहा जाता है।

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