Breaking News

Journalism : ग्रामीण पत्रकारों की सुरक्षा व आजीविका पर चिन्तन जरूरी

पं० युगुल किशोर शुक्ल ने 1826 में 30 मई को जब पहला हिन्दी समाचार पत्र उदन्त मार्तण्ड का प्रकाशन आरम्भ किया तो वह दिन ऐतिहासिक हो गया। आज करीब 194 साल बाद भी वह दिन जीवन्त है। Journalism पत्रकारिता वास्तव में लोकतंत्र का अविभाज्य अंग है। प्रतिपल परिवर्तित होने वाले जीवन और जगत का दर्शन पत्रकारिता से ही संभंव है।

माँग व पूर्ति के सिद्धान्त पर विकसित होती रही Journalism

परिस्थितियों के अध्ययन, चिंतन-मनन और आत्म अभिव्यक्ति की प्रवृत्ति और दूसरों का कल्याण अर्थात् लोकमंगल की भावना ने ही Journalism पत्रकारिता को जन्म दिया। प्रख्यात चिन्तक सीजी मूलर की मानें तो  “सामयिक ज्ञान का व्यवसाय ही पत्रकारिता है।”

डॉ.अर्जुन तिवारी कहते हैं कि “ज्ञान और विचारों को समीक्षात्मक टिप्पणियों के साथ शब्द, ध्वनि तथा चित्रों के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाना ही पत्रकारिता है। यह वह विद्या है जिसमें सभी प्रकार के पत्रकारों के कार्यो, कर्तव्यों और लक्ष्यों का विवेचन होता है। पत्रकारिता समय के साथ समाज की दिग्दर्शिका और नियामिका है।”

सामाजिक सरोकारों तथा सार्वजनिक हित से जुड़कर ही पत्रकारिता सार्थक बनती है। सामाजिक सरोकारों को व्यवस्था की दहलीज तक पहुँचाने और प्रशासन की जनहितकारी नीतियों तथा योजनाआें को समाज के सबसे निचले तबके तक ले जाने के दायित्व का निर्वाह ही सार्थक पत्रकारिता है।

लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ….

पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा पाया (स्तम्भ) भी कहा जाता है। पत्रकारिता ने लोकतंत्र में यह महत्त्वपूर्ण स्थान अपने आप नहीं हासिल किया है बल्कि सामाजिक सरोकारों के प्रति पत्रकारिता के दायित्वों के महत्त्व को देखते हुए समाज ने ही उसे यह दर्जा दिया है। कोई भी लोकतंत्र तभी सशक्त रह सकता है जब पत्रकारिता सामाजिक सरोकारों के प्रति अपनी सार्थक भूमिका निभाती रहे।

इंटरनेट और सूचना के आधिकार ने आज की पत्रकारिता को बहुआयामी और अनंत बना दिया है। आज कोई भी जानकारी पलक झपकते उपलब्ध हो जाती है। मीडिया आज काफी सशक्त, स्वतंत्र और प्रभावकारी हो गया है। पत्रकारिता की पहुँच और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का व्यापक इस्तेमाल आमतौर पर सामाजिक सरोकारों और भलाई से ही जुड़ा है, किंतु अब इसका दुरूपयोग भी होने लगा है।

पत्रकारिता ने देश से लेकर सारे विश्व को एकसूत्र में बांध दिया

मानव जीवन में पत्रकारिता अपने महत्वपूर्ण स्थान और उच्च आदर्शों के पालन के लिए अपनी पहचान बनाती आ रही है। आज ‘पत्रकारिता’ शब्द हमारे लिए कोर्इ नया शब्द नहीं है। सुबह होते ही हमें अखबार की आवश्यकता होती है, फिर सारे दिन रेडियो, दूरदर्शन, इंटरनेट एवं सोशल मीडिया के माध्यम से समाचार प्राप्त करते रहते हैं। साथ ही रेडियो, टीवी और सोशल मीडिया सुबह से लेकर रात तक विभिन्न प्रकार की जानकारियों से परिचित कराते हैं। कुल मिलाकर पत्रकारिता के विभिन्न माध्यमों ने व्यक्ति से लेकर समूह तक और देश से लेकर सारे विश्व को एकसूत्र में बांध दिया है। इसके परिणाम स्वरूप पत्रकारिता आज राष्ट्रीय स्तर पर विचार, अर्थ, राजनीति और यहां तक की संस्कृति को भी प्रभावित करने में सक्षम है।

पत्रकारिता जनता की सेवा का माध्यम

डा.शंकरदयाल कहते हैं कि पत्रकारिता एक पेशा नहीं है बल्कि यह तो जनता की सेवा का माध्यम है ।पत्रकारों को केवल घटनाओ का विवरण ही नहीं प्रस्तुत करना चाहिए, बल्कि आम जनता के सामने उसका विश्लेषण भी करना चाहिए। पत्रकारों पर लोकतांत्रिक परम्पराओं की रक्षा करने और शांति एवं भार्इचारा बनाए रखने की भी जिम्मेदारी आती है।

साधना के बल पर ही कुशलता हासिल की जा सकती है

पत्रकारिता के लिए कुशल साधना की जरूरत अधिक होती है, क्योंकि यह एक कला है। अतीत में जितने भी पत्रकारों ने श्रेष्ठ पत्रकार के रूप मे ख्याति प्राप्त की है, वे अपनी प्रवृत्ति और साधना के बल पर ही पत्रकारिता के क्षेत्र में शीर्ष पर पहुचे हैं।

पत्रकार का कर्तव्य है कि वह समाचार को ऐसे ढंग से पेश करे कि पाठक उसे समझते हुए उससे अपना लगाव महसूस करे। चूंकि समाचार लेखन संपादकीय लेखन नहीं होता है, इसलिए लेखक को अपनी राय प्रकट करने की छूट नहीं मिल पाती है।

समय के साथ परिवर्तन….

पत्रकारिता में बीते 20 वर्षों में भारी परिवर्तन देखने को मिला। जहां एक ओर आज से 20 वर्ष पहले पत्रकारिता एवं जनसंचार के दो-चार संस्थान हुआ करते थे, वहां आज के समय में लगभग हर बड़े शहर में पत्रकारिता संस्थान है।

पत्रकारिता का अपना जुनून है। तमाम जोखिम होने के बावजूद युवा इस क्षेत्र में आकर देश की सेवा करते हैं। देश के बड़े-बड़े भ्रष्टाचार के मामलों को पत्रकारों ने ही उजागर किया है।

बहुत सारे मुद्दे गाँवों में पत्रकारिता से ही …

ग्रामीण पत्रकारिता या राजनीतिक पत्रकारिता भले ही आकर्षक न हो लेकिन सम्मानजनक जरूर है। क्योंकि यह ग्रामीणों पर पूरी तरह केन्द्रित है। उन्हें मिलने वाली सुविधा, सरकारी योजनाएं, वहां घट रही घटनाएं, अपराध, मिलने वाला राशन,किसी योजना का प्रचार-प्रसार, भ्रष्टाचार, चोरी-डकैती आदि बहुत सारे मुद्दे गाँवों में पत्रकारिता कर रहे लोगों से ही प्राप्त होते हैं।

ग्रामीण पत्रकारिता का महत्व यह है कि देश की राजनीति में ग्रामीण मुद्दों पर चुनाव लड़ा जाने लगा है। इसमें शौचालय, हैंडपंप, मनरेगा, किसान कर्ज आदि शामिल हैं। यही कारण है कि अब पत्रकारों का रुझान ग्रामीण पत्रकारिता की ओर बढ़ रहा है। यहां सम्मान ज्यादा है, जितना शहर में पत्रकारों को सम्मान की नजरों से देखा जाता है, उससे कहीं ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र में पत्रकारों का सम्मान है। ग्रामीण पत्रकारिता का भविष्य अन्य पत्रकारिता के क्षेत्रों से ज्यादा हैं। ग्रामीण विकास के लिए यह अच्छी बात है और इसे यूं ही बढ़ते रहना चाहिए। सबसे बडा सवाल ग्रामीण पत्रकारों की सुरक्षा और उनकी आजीविका का है। इसके बारे में मीडिया संस्थानों और सरकारी तंत्र को गहन विमर्श करने की आवश्यकता है।

गिरीश अवस्थी

About Samar Saleel

Check Also

सीएमएस अशरफाबाद कैम्पस द्वारा ‘ओपेन डे समारोह’ का भव्य आयोजन

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल अशरफाबाद कैम्पस द्वारा विद्यालय प्रांगण में आयोजित ‘ओपेन डे एवं पैरेन्ट्स ओरिएन्टेशन ...