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Modi : 56 नहीं 65 इंच का सीना, हो गया दर्द

मोदी मोदी और मोदी Modi , तीनों में अंतर क्या है, भारत में अभी मोदी मतलब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी । फिर मोदी नाम का इतना हल्ला क्यों। अरे भाई प्रधानमंत्री अकेले मोदी नहीं हैं और भी मोदी हैं जैसे कि ललित और नीरव, जो कि एक दर्द बन गए हैं।

हर भारतीय Modi का नाम सुनकर

प्रधानमंत्री Modi जिसका नाम सुनकर हर भारतीय जो कि अपने आप को भारतीय जानता पहचानता और मानता है का सीना 56 इंच का हो जाता है तो वहीं ललित मोदी और नीरव मोदी का नाम सुनकर जो कि अपने आप को बिजनेज टाईकून, किंग मेंकर की तरह जानता मानता और पहचानता है का सीना 65 इंच का हो जाता है। नरेन्द्र मोदी जो कि प्रधानमंत्री हैं कि जितनी प्रशंसा की जाये उतनी कम है वहीं ललित और नीरव मोदी कि जितनी निंदा की जाये वो कम हैं।

बिरादरी वाला प्रधानमंत्री

आज आप किसी चाय बेचने वाले से जरा सी बहस कर ले तो वह तपाक से जवाब देता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कभी चाय बेचते थे बाबू जी हम भी चाय बेच रहे है उसका इशारा साफ होता है कि हम जरूर चाय बेचते हैं लेकिन देखों चाय बेचने वाला क्या कर सकता है, आप नहीं जानते इस लिए चाय पियो और पैसे दो क्योकि हमारी बिरादरी वाला आज प्रधानमंत्री है हम क्या करेंगे तुम सोच भी नहीं सकते।

चोरो की तरह फरार

यह बात ललित और नीरव पर भी लागू होती है आखिरकार चाय बेचने वाला जिसका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं वो इतनी हेकड़ी दिखा सकते है तो हम तो मोदी है हमारे सामने किसी भारतीय की क्या विसात। ललित मोदी आईपीएल का राजा और अब चोरो की तरह फरार, नीरव मोदी हीरे का जोहरी और अब जेबकतरे की तरह भागा हुआ। दोनों के पास ज्ञान और धन की कमी नहीं एक से बढकर एक पैरोकार फिर क्यों फरार, सीधा सा मतलब किसी चैराहे पर चाय बेचने वाले से पूछ लो वो साफ बता देगा कि भईया मोदी है। अब इसका मतलब सभी जानते है लेकिन बोले कौन समझे कौन।

वकालत के हुनरमंद पैरोकार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, ललित मोदी, नीरव मोदी । पहले नाम में विश्वास बाकी दोनो में आप सबको पता है कि बाकी दोनो में और पहले में अंतर क्या है। अब किसी भी चाय वाले से इस बात पर चर्चा कर लो तो यही बोलेगा बाबु जी हम तो चाय बेचकर जैसे तैसे गुजारा कर रहें है हमका का लेना देना मोदी से । अब बात विश्वास की कि प्रधानमंत्री मोदी इन दोनो मोदी के लिए क्या करेंगे जिन्होंने उनके अटूट प्रेम को मतलब अपने देश को धोखा दे दिया और विदेश में जाकर आखे दिखा रहे है, क्या ये मोदी सब पर भारी हैं ।

प्रधानमंत्री मोदी के पास सारे विकल्प खुले हुए हैं उनको लाने के लिए, अगर उन मोदी के पास वकालत के हुनरमंद पैरोकार हैं तो भारत का हर वो वकील जो अपने देश से प्यार करता है वो इस बात को जानता है कि ऐसे मोदी के साथ क्या कर सकता है भारतीय संविधान, जिन्होने देश के साथ ही गद्दारी की हो । प्रधानमंत्री मोदी अगर जरा सी इस मामले पर गंभीर हो गये तो दोनो मोदी के हालात धोबी के एक जानवर की तरह होगी जा न तो घर का रहता है और न ही घाट का।

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