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विश्वकर्मा पूजा: कारोबार में होती है वृद्धि,जानिए पूजा की विधि…

दुनिया के पहले वास्तुकार, इंजीनियर भगवान विष्णु को सृजन का देवता माना जाता है। हर साल 17 सितम्बर को विश्वकर्मा जयंती मनायी जाती है। तो आइए हम आपको विश्वकर्मा जयंती की महिमा के बारे में बताते हैं-

कौन थे विश्वकर्मा भगवान-
वास्तुकला के देवता विश्वकर्मा भगवान वास्तुदेव और अंगिरसी के बेटे हैं। देश के कुछ इलाकों में यह माना जाता है कि हिन्दी तिथि के अनुसार अश्विन मास की प्रतिपदा को भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था लेकिन यह एक ऐसी पूजा है जो सूर्य के पारगमन के आधार पर निर्धारित होती है। इसलिए हर साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितम्बर को मनाया जाता है।

पूजा का मुहूर्त- 
इस साल पूजा का मुहूर्त सुबह 7 बजकर 2 मिनट से शुरू हो जाएगा। उसके बाद सुबह 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक यमगंड रहेगा। दोपहर के समय 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक गुलिक और 3 बजे से 4 बजकर 30 मिनट तक राहुकाल रहेगा, इसलिए दिन के इस भाग छोड़कर आप कभी भी पूजा कर सकते हैं।

विश्वकर्मा भगवान के जन्म की कथा-
एक कथा में कहा गया है कि सृष्टि की रचना के समय भगवान विष्णु सागर में प्रकट हुए। विष्णु जी के नाभि-कमल से ब्रह्मा जी दृष्टिगोचर हुए थे। ब्रह्मा के पुत्र “धर्म” की शादी “वस्तु” से हो गयी। विवाह के उपरान्त धर्म के सात पुत्र हुए इनमें से सातवें पुत्र का नाम ‘वास्तु’ रखा गया, जो शिल्पशास्त्र की कला से निपुण थे। ‘वास्तु’ के विवाह के पश्चात एक पुत्र हुआ जिसका नाम विश्वकर्मा रखा गया, जो वास्तुकला के अद्वितीय गुरु बने।

भगवान विश्वकर्मा ने बनायी हैं ये चीजें-
भगवान विश्वकर्मा को देव शिल्पी भी कहा जाता है। भगवान विश्वकर्मा को देव शिल्पी भी कहा जाता है। उन्होंने सतयुग में स्वर्गलोक बनाया और त्रेतायुग में सोने की लंका भी बनायी। द्वापर युग में द्वारिका और कलियुग में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा बनायी। इसके साथ ही बलभद्र एवं सुभद्रा की विशाल मूर्तियों का निर्माण करने के साथ ही यमपुरी, पांडवपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, शिवमंडलपुरी तथा सुदामापुरी इत्यादि का भी निर्माण किया। इसके अलावा ऋगवेद में इनके महत्व के वर्णन में 11 ऋचाएं भी लिखी गयी।

पूजा की विधि- 
विश्वकर्मा पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा की बहुत धूमधाम से पूजा होती है। इसके लिए सबसे पूजा सामग्री जैसे अक्षत, फूल, चंदन, मिठाई, रक्षासूत्र, दही, रोली, सुपारी, धूप और अगरबस्ती की व्यवस्था कर लें। फैक्टरी, वर्कशॉप या आफिस की सफाई कर पत्नी सहित पूजा पर बैठ जाएं। इसके बाद कलश स्थापित करें और विधिवत विश्वकर्मा भगवान की पूजा करें। भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से प्राकृतिक ऊर्जा मिलती है और बिना किसी परेशानी के सभी काम पूरे हो जाते हैं।

इन राज्यों में भी होती है विश्वकर्मा पूजा-
विश्वकर्मा भगवान की पूजा वैसे तो पूरे भारत में होती है लेकिन देश में बिहार, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और महाराष्ट्र में विशेष रूप से मनायी जाती है। कारीगर मानते हैं कि इस दिन विश्वकर्मा भगवान की पूजा करने से साल भर काम अच्छे से चलता है। काम के समय मशीने कभी भी धोखा नहीं देती है इसलिए विश्वकर्मा पूजा के दिन मशीने रोक कर सभी औजारों की पूजा होती है।

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