Breaking News

लक्ष्य तय करते समय ही तय करे अपना मूल उद्देश्य व इन बातो का जरुर रखे ध्यान

सफलता कभी एकमुश्त नहीं मिलती, ये पड़ाव दर पड़ाव पार किया जाने वाला सफर है. अक्सर ऐसा होता है कि हम पड़ावों पर ही जीत के उत्सव में डूब जाते हैं, मंजिलें तो मिल ही नहीं पाती. छोटी-छोटी कामयाबियों का जश्न मनाना तो महत्वपूर्ण है लेकिन इसके उत्साह में वास्तविक लक्ष्य को ना भूला जाए. अक्सर लोग यहीं मात खा जाते हैं.


हमें अपना लक्ष्य तय करते समय ही यह भी तय कर लेना चाहिए कि हमारा मूल उद्देश्य क्या है  इसमें कितने पड़ाव आएंगे. अगर हम किसी छोटी सी सफलता या असफलता में उलझकर रह गए तो फिर बड़े लक्ष्य तक जाना मुश्किल हो जाएगा.
महाभारत युद्ध में चलते हैं. कौरव  पांडव दोनों सेनाओं के व्यवहार में अंतर देखिए. कौरवों के नायक यानी दुर्योधन, दु:शासन, कर्ण जैसे योद्धा  पांडव सेना से डेढ़ गुनी सेना होने के बाद भी वे पराजय गए. धर्म-अधर्म तो एक बड़ा कारण दोनों सेनाओं के बीच था ही लेकिन उससे भी बड़ा कारण था दोनों के बीच लक्ष्य को लेकर अंतर. कौरव सिर्फ पांडवों को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से लड़ रहे थे.
जब भी पांडव सेना से कोई योद्धा मारा जाता, कौरव उत्सव का माहौल बना देते, जिसमें कई गलतियां उनसे होती थीं. अभिमन्यु को मारकर तो कौरवों के सारे योद्धाओं ने उसके मृत शरीर के इर्दगिर्द ही उत्सव मनाना प्रारम्भ कर दिया.
वहीं पांडवों ने कौरव सेना के बड़े योद्धाओं को मारकर कभी उत्सव नहीं मनाया. वे उसे युद्ध जीत का सिर्फ एक पड़ाव मानते रहे. भीष्म, द्रौण, कर्ण, शाल्व, दु:शासन  शकुनी जैसे योद्धाओं को मारकर भी पांडवों के शिविर में कभी उत्सव नहीं मना.
उनका लक्ष्य युद्ध जीतना था, उन्होंने उसी पर अपना ध्यान टिकाए रखा. कभी भी क्षणिक सफलता के बहाव में खुद को बहने नहीं दिया.

About News Room lko

Check Also

राम नवमी पर सरयू सलिला में स्नान का विशेष महत्व 

राम नवमी विशेष: भये प्रकट कृपाला दीनदयाला कौशल्या हितकारी। हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत ...