सोमवार 5 अगस्त का दिन हिंदुस्तान के लिए ऐतिहासिक रहा. राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू और कश्मीर से विशेष प्रदेश का दर्जा हटाए जाने की घोषणा की. इसके बाद जम्मू और कश्मीर से विशेष प्रदेश का दर्जा छिनने का रास्ता साफ हो गया. ऐसे में जाहिर है कि नरेन्द्र मोदी सरकार के इस निर्णय से तमाम युवा क्रिकेटरों के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई होगी.
दरअसल, जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 व सेक्शन 35 ए के हटने के बाद इस विशेष प्रदेश के दो टुकड़े हो गए हैं, जिसमें एक जम्मू और कश्मीर है, तो वहीं दूसरा लद्दाख बनाया गया है. हालांकि, दोनों ही राज्यों को क्रेंद शासित प्रदेश बनाने का निर्णय किया गया है. इससे क्रिकेट जगत को भी नए खिलाड़ी मिलने की संभावनाओं के द्वार खुल गए हैं.
जी हां, लद्दाख को अलग से केन्द्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा तो वहां भी दिल्ली व चंडीगढ़ की तरह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआइ लद्दाख क्रिकेट एसोसिएशन बना सकती है. अगर ऐसा होता है कि फिर अगले कुछ वर्षों में लद्दाख की भी रणजी टीम आपको घरेलू मैच खेलते दिखेगी.
हालांकि, इसके लिए तमाम प्रदेश व केन्द्र शासित प्रदेश पहले से ही लड़ाई लड़ रहे हैं कि उन्हें बीसीसीआइ से स्टेट एसोसिएशन बनाने की मान्यता मिले. कई प्रदेश व केन्द्र शासित प्रदेश तो दशकों पुराने हो गए हैं, बावजूद इसके वे अभी तक अपनी प्रदेश की टीम को रणजी ट्रॉफी में खेलने की मान्यता बीसीसीआइ से नहीं दिला पाए हैं.
ऐसे में केन्द्र शासित प्रदेश (लद्दाख) के लिए अपनी अलग टीम बनाने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करनी होगी. आपको बता दें, जम्मू और कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन को वर्ष 1970 में ही बीसीसीआइ से मान्यता मिल गई थी. अब देखना ये होगा कि क्या लद्दाख के युवा क्रिकेटरों को जम्मू और कश्मीर से खेलने की इजाजत मिलेगी, या फिर लद्दाख में नया क्रिकेट एसोसिएशन व नयी रणजी टीम बनेगी.