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दूल्‍हा चपरासी मंजूर लेक‍िन अमीर क‍िसान नहीं, लड़के बैठे कुवांरे

देश में क‍िसानों के हालातों को सुधारने के ल‍िए प‍िछले कई सालों से सरकारें अथक प्रयास कर रही हैं। ऐसे में क‍िसानों के हालात भले बदल जाएं लेक‍िन लोगों के मन में उनके प्रत‍ि जो भावनाएं हैं उनका क्‍या होगा।

देश में महाराष्‍ट्र, कर्नाटक राज्‍यों में पढ़े-ल‍िखे कि‍सान युवकों का बुरा हाल है। इन राज्‍यों में लड़क‍ियां इन लड़कों से शादी के बजाय चपरासी से शादी करने को तैयार हैं। आइए जानें इस पूरे मामले के बारे में…

मास्टर डिग्री के साथ है करोड़ों के मालिक

हाल ही में एक अंग्रेजी न्‍यूज वेबसाइट ने महाराष्‍ट्र, कर्नाटक जैसे कुछ राज्‍यों में क‍िसानों को लेकर सर्वे क‍िया। इस दौरान चौकाने वाले क‍िस्‍से सामने आए हैं। क‍िसानी को लेकर अभी भी इन राज्‍यों में लोगों की सोच नहीं बदली है।

शायद तभी यहां पर बड़ी संख्‍या में पढ़े-लि‍खे अमीर लड़के शादी के इंतजार में हैं। इन लड़कों के र‍िश्‍ते स‍िर्फ इसल‍िए नहीं हो पाते हैं क्‍योंक‍ि ये नौकरी न करके खेतीबाड़ी करते हैं।

महाराष्ट के विदर्भ क्षेत्र के बुलधना जिले में रहने वाले 32 साल के किशोर सावले ने अपनी खुद की आपबीती बताई। उनका कहना है क‍ि उन्‍होंने लाइब्रेरी साइंस में मास्टर डिग्री किया है।

पार‍िवार‍िक हालात भी काफी अच्‍छे हैं। करोड़ों की कीमत की 8 एकड़ जमीन है। वह 2 एकड़ से अधि‍क जमीन पर तंबाकू की खेती करते हैं। बीते चार साल से करीब 30 पर‍िवारों से उनके र‍िश्‍तों की बात हुई लेक‍िन हर बार हर जगह से इसल‍िए न हो जाता है कि क्‍योंकि‍ वे खेती करते हैं।

किशोर सावले कहते हैं क‍ि लड़की वाले के साथ ही लड़क‍ियां खुद कहती हैं क‍ि खेती करने वाले के साथ र‍िश्‍ता नहीं कर सकते हैं। इसकी जगह पर अगर प्राइवेट व सरकारी क‍िसी भी सेक्‍टर का चपरासी होगा उसके साथ रि‍श्‍ता मंजूर होगा। कनार्टक राज्‍य में भी युवाओं ने कुछ ऐसे ही कि‍स्‍से बताए हैं।

कर्नाटक के बेलागावी जिले के गलाडगवाडी के रहने वाले विश्वास बेलेकर का कहना है क‍ि उनके साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ। वह अपने परि‍वार के इकलौते हैं। ऐसे में परिजन उन्‍हें नौकरी के लि‍ए कहीं जाने नहीं दे रहे थे।

शादी के र‍िश्‍ते लौटते देख उन्‍होंने पर‍िजनों को समझाया और खेती छोड़कर कुछ द‍िन बाहर प्राइवेट नौकरी की। इसके बाद जैसे ही उनकी शादी हो गई वैसे ही वह अपनी खेती के व्‍यवसाय में वापस लौट आए है। यह हालात स‍िर्फ किशोर सावले या विश्वास बेलेकर की ही नहीं है उनके जैसे तमाम पढ़े-ल‍िखे क‍िसान नवयुकों के साथ हो रहा है।

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