Tamil Nadu मद्रास हाई कोर्ट ने तिरुनलवेली जिले के केंद्रीय कारागार में उम्रकैद की सजा काट रहे 40 वर्षीय एक व्यक्ति को अपना परिवार बढ़ाने के लिए दो हफ्ते की छुट्टी दी है। न्यायमूर्ति एस. विमला देवी और न्यायमूर्ति टी. कृष्ण वल्ली की खंडपीठ ने पलयमकोट्टई केंद्रीय कारागार के कैदी सिद्दीक अली की 32 वर्षीय पत्नी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर उसे दो हफ्ते की अस्थायी छुट्टी दे दी।
कैदी भी बढ़ा सकता है अपना परिवार
मौजूदा मामले में अदालत ने कहा, प्राथमिक जांच में यह पता चला है कि कैदी परिवार बढ़ा सकता है। रिहा होने के बाद डॉक्टरी जांच के लिए दो हफ्ते की अतिरिक्त छुट्टी पर विचार किया जा सकता है। अदालत ने जेल अधिकारियों को इस संबंध में प्रक्रिया का पालन करने और कैदी के जेल से बाहर रहने के दौरान उसे सुरक्षा देने का निर्देश दिया।
कैदियों को इच्छा पूरी करने का अधिकार
पीठ ने कहा, वक्त आ गया है कि सरकार को एक समिति बनाकर कैदियों को अपने जीवन साथी के साथ रहने की मंजूरी देने पर विचार करना चाहिए।
- कई देशों में कैदियों को ऐसे अधिकार दिए गए हैं।
- केंद्र पहले ही एक प्रस्ताव को मंजूरी दे चुकी है, जिसके मुताबिक संबंध स्थापित करना एक अधिकार है,न कि विशेषाधिकार।
- कैदियों को अपनी इच्छा पूरी करने का अधिकार है।
- कुछ देशों में कैदियों के संसर्ग अधिकार को मान्यता दी गई है। अ
- कैदियों की संख्या काफी अधिक है तो सरकार को ऐसी समस्याओं के समाधान तलाशने चाहिए।
- परिवार के साथ रिश्ते कायम रखने से आपराधिक प्रवृत्ति कम होती है।
- कैदियों में सुधार,न्याय में दी गई सुधार-व्यवस्था का हिस्सा है।