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NTPC : पराली से बन रही बिजली,प्रदूषण होगा कम

गाजियाबाद। एनटीपीसी (NTPC) की दादरी यूनिट में धान की पराली से बिजली उत्पादान शुरू किया गया है। एनटीपीसी के सीएमडी ए.के. दास ने मीडिया को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि धान और अन्य कृषि अवशेषों से बने गट्ठे को कोयले के साथ आशिंक रूप से प्रतिस्थापित कर बिजली उत्पादन की योजना को न केवल अमली जामा पहना दिया गया है,बल्कि पराली आधारित ईंधन से बिजली का उत्पादन भी दिया गया है।

केंद्र सरकार ने बायोमास को-फायरिंग प्रोत्साहन के लिए

ए.के. दास ने कहा कि इस तरह के ईंधन की अनुबंधित मात्रा की आपूर्ति में अभी कुछ समय लगेगा। उन्होंने कहा कि पावर प्लांट में कोयले के साथ कृषि अवशेषों के बने पेलेटस (गठ्ठर) के प्रयोग को तकनीकी भाषा में बायोमास को-फायरिंग कहते है। इस दिशा में केंद्र सरकार ने बायोमास को-फायरिंग प्रोत्साहन के लिए जरूरी नीति निर्देश भी जारी किए है।

21 बिजलीघरों में पेलेटस आपूर्ति के लिए

इस कदम से कृषि अवशेषों के एकत्रीकरण, संग्रहण एवं उससे पेलेटस/टोरी फाइड पेलेटस के निर्माण क्षेत्र में निवेश को बढावा देने में मदद मिलेगी। साथ ही कृषि अवशेषों के लिए बाजार मिलेगा। जिससे व्यापार व रोजगार के नए मौके बनेंगे। देशभर में स्थित 21 बिजलीघरों में पेलेटस आपूर्ति के लिए रुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित किए गए हैं। जिसकी खपत 19440 टन प्रतिदिन है।

5 हजार करोड़ का बाजार तैयार

इसकी पूर्ति के लिए करीब 5 हजार करोड़ का बाजार तैयार हो सकता है। यहां ये बताना बेहद जरुरी है कि पराली और कृषि अवशेषों को खेतों में जलाए जाने की वजह से वायु प्रदूषण बढ़ने की घटनाएं अक्सर आती रहती हैं। खासकर ऐसे कृषि अवशेष जो पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल नहीं हो पाते। इन्हें किसान फसल कटाई के बाद खेतों में ही जला देते हैं,जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।

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