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Major alliance : किस पार्टी को कितनी सीटे

लखनऊ।। उत्तर प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनावा में Major alliance महागठबधंन को लेकर कयास तेज हो गये हैं। अगले साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक पार्टियों ने अपनी-अपनी तैयारी शुरू कर दी है। वहीं सपा-बसपा के गठबंधन के बाद सूबे में जातिये समीकरण बदलते हुए नजर आ रहे हैं। वहीं भविष्य में कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन बनाए जाने की संभावना जतायी जा रही है। लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल की एक अहम भूमिका रही है। लेकिन अगर महागठबंधन बनता है तो सवाल ये है कि किसी पार्टी को कितने सीट मिलेगी।

वर्तमान समय में Major alliance के पूरे आसार

जानकारों की माने तो वर्तमान समय में Major alliance के पूरे आसार दिख रहे हैं। यूपी में विपक्षी दलों की बात की जाए तो सपा का सबसे ज्यादा दबदबा दिखाई पड़ रहा है। वहीं बसपा की स्थिति उभरने की कोशिश रही है। इस लिहाज से जब सीटों के बंटावारे मंथन होगा तो सपा का पलड़ा भारी रहेगा। कारण पूर्वांचल की सियासत में सपा ने ज्यादातर सीटों पर बसपा को मात दी है। वहीं साल 2014 में बसपा का खाता भी नहीं खुल पाया था। दूसरी तरफ सपा ने किसी तरह पांच सीटों पर विजय हासिल की थी। इसके अलावा हाल ही में हुए गोरखपुर व फूलपुर उपचुनाव में भी सपा को जीत मिली है।

सपा का दबदबा

ऐसे में इन सीटों पर अब सपा का दबदबा साफ दिखाई पड़ता है। वहीं 2014 के नतीजों की बात करें तो चंदौली, आजगढ़, गोरखपुर, फूलपुर, गाजीपुर, लालगंज, बलिया, गोरखपुर, सलेमपुर, डुमरियागंज व बस्ती में सपा, बसपा से आगे रही थी। वहीं दूसरी तरफ वाराणसी, बासगांव, मऊ, देवरिया, संतकबीर नगर, कुशीनगर व महराजगंज इसी क्रम में इन सीटों पर बसपा को सपा से अधिक मत मिले थे। अब अगर सपा-बसपा के साथ कांग्रेस को जोड़ा जाए तो 2014 से अब तक के सीटों के लिहाज से सीटों का बंटवारा और कठिन होगा।

महागठबंधन बनने पर
राजनीति के जानकारों की माने तो महागठबंधन बनने पर 2009 के लोकसभा परिणाम को सीटों के बंटवारे का आधार बनाया जा सकता है जिसमें लगभग बराबर-बराबर की दावेदारी होगी। आंकड़ों के आधार पर 21 में से सर्वाधिक आठ सीट बसपा को, सात सपा और छह सीट कांग्रेस को मिली थी। कहा जा सकता है कि 2009 में जीती सीटें किसी भी स्थिति में कोई भी पार्टी छोड़ना नहीं चाहेगी। इस लिहाज से भी तीनों के बीच पांच से आठ सीटों के बीच ही बंटवारा होगा। इस पर किसी को कोई खास एतराज नहीं होना चाहिए। वैसे भी अखिलेश यादव कांग्रेस को पहले ही नसीहत दे चुके हैं कि बड़े लक्ष्य हासिल करने के लिए कुछ बड़ा दिल करना भी जरूरी है।

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