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जानें भारत की किस कंपनी में बनती है Voting Ink

लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर देश भर में नेताओं की बयानबाजी का दौर चालू है। सभी दलों के लिए महज कुछ दिन के लिए ही सही,फ़िलहाल वोटर ही उसके माँ बाप बने हुए हैं। लोकतंत्र के इस महापर्व में हर तरफ लोग देश को मिलने वाली नई सरकार को लेकर चर्चा करता हुए आसानी से देखे जा सकता हैं।

चुनाव आयोग द्वारा इस बार वोटिंग सात चरणों में मतदान करने की घोषणा की गयी है। जिसमें पहले चरण की वोटिंग 11 अप्रैल को हो चुकी है। ये बहुत ही कम लोगों को मालूम होगा कि वोट डालने के दौरान उंगली में लगने वाली स्याहीVoting Ink को भारत में सिर्फ एक कंपनी ही बनाती है।

चुनाव आयोग ने साल 1962 में कानून मंत्रालय

अगर नहीं मालूम है तो यह जान लें कि इस स्याही को पूरे देश में सिर्फ कर्नाटक की एक फैक्ट्री बनाती है। इस फैक्ट्री का नाम मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड है जोकि कर्नाटक सरकार के अधीन है। यह भारत में चुनाव में इस्तेमाल होने वाली स्याही निर्माण की इकलौती रजिस्टर्ड कंपनी है। चुनाव आयोग ने साल 1962 में कानून मंत्रालय, राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला और राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम के साथ मिलकर मैसूर पेंट्स के साथ लोकसभा और विधानसभा चुनावों में लगने वाली स्याही की आपूर्ति के लिए अनुबंध किया था।

10 क्यूबिक सेंटीमीटर की 26 लाख शीशियां

2014 आम चुनावों की तुलना में इस बार कंपनी को करीब 4.5 लाख कम बोटल के ऑर्डर मिले हैं। मैसूर पेंट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर चंद्रशेखर डोडामनी ने पीटीआई से बातचीत में कहा था कि कंपनी को चुनाव आयोग से 10-10 क्यूबिक सेंटीमीटर की 26 लाख शीशियां बनाने का आर्डर प्राप्त हुआ है, जिसकी कीमत करीब 33 करोड़ रुपये के आसपास है। यह कंपनी इस स्याही को सिर्फ भारत में नहीं बल्कि 30 देशों में निर्यात करती है।

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