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क्या मीडिया को किसी की भी इज्जत उछालनें की पूरी छूट है?

बिथरी चैनपुर के विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल की पुत्री ने अजितेश सिंह से प्रेम विवाह कर लिया, लेकिन इस प्रकरण को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया  ने इतना तूल दिया कि विधायक की व्यक्तिगत जिंदगी को ही सरेआम नीलाम करने में कोई कसर नही छोड़ी, क्या मीडिया को इतनी आजादी मिल गई है कि वो किसी भी इज्जतदार व्यक्ति की पगड़ी उछालकर उसको समाज में बेइज्जत कर दे?
मैं जानना चाहता हूँ उन टीवी ऐंकरो से की क्या उनके परिवार में बेटियां है, और अगर हैं और कल जवानी के जोश और वर्तमान परिस्थितियों में वो किसी ऐसे लड़के से आँखे चार करके विवाह बंधन में बंध जाए,तो क्या आप इसी तरह अपने परिवार की इज्जत को सरेआम नीलाम करने की जहमत उठाएंगे,आखिर तुम्हारे परिवार में भी बेटियां बहने होंगी,तुम अपने चैनल की टीआरपी बढ़ाने के लिए किसी भी इज्जतदार व्यक्ति की धज्जियां उड़ाने में कसर नही छोड़ते, मैं यहाँ एक कवि की कुछ पंक्तियो को उजागर करना चाहता हूँ जिसमें उन्होंने लिखा- “ऐसी कौन चुनरियाँ जिसमें दाग नहीं है” अर्थात यह स्पष्ट है, कि जिस तरह से पश्चिम सभ्यता हमारे देश को खोखला कर रही है, उसकी चपेट में हर समाज आ रहा है।
दूसरी तरफ जिन महिला एंकरों ने साक्षी और अजितेश को लेकर इतनी हायतौबा मचाई, कभी उन्होंने अपने गिरेबान में झांककर कर देखा कि इस पद पर पहुंचने के लिए उनको किस-किस रास्ते से गुजरना पड़ा, मेरा सीधा सा सवाल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के एंकरों से है, कि जिनके मकान शीशे के होते हैं वो दूसरों पर पत्थर नहीं उछाला करते। मैं देख रहा हूँ कि कैसे टीयूटर पर लोग इन महिला एंकरों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, जिनका चरित्र भी संदिग्ध है, जब इन्होंने अपने परिवार की चिंता न करते हुए,दूसरी जाति के व्यक्ति से शादी की तब इनको कोई शर्म हया नहीं आई, लेकिन आज साक्षी ने दलित युवक से शादी कर ली तो इनको उनको उनके परिवार की इज्जत उछालने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहे।
कारण स्पष्ट है कि साक्षी एक विधायक की बेटी है, और विधायक को बेइज्जत करने का इससे अच्छा और मौका नहीं हो सकता था। मैं बताना चाहता हूँ उन टीवी एंकरों को,खासकर महिला एंकरों को कि किसी के चरित्र हनन करने का तुमको अधिकार किसने दिया, अब जब कि लोग तमाम तरह से आपको आपकी बेटी को लेकर कमेंट कर रहे हैं क्या आपको अच्छा लग रहा है? इसलिए मेरा अनुरोध है कि पैसों की चाहत में इतना नीचे मत गिर जाओ जहाँ तुम्हारा हाथ पकड़कर कोई उठाने वाला न मिले। इज्जत चाहे अमीर की हो, राजनेता की हो या जनप्रतिनिधियों की हो और चाहे किसी गरीब की हो एक बार चली जाए तो जमाना हमेशा उसे, उसके परिवार को हेय दृष्टि से देखता है, इसलिए पत्रकारिता को अपने निहित स्वार्थ के चलते बदनाम करने की कोशिश न करो, ये भारत देश है, यहाँ राजा से रंक और रंक से राजा बनने में बहुत देर नहीं लगती।
देवेंद्र शर्मा ‘देवू’

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