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आंख और नाक से पानी आना हैं एलर्जी का लक्षण,ऐसे पाए छुटकारा

नीता स्वस्थ है लेकिन जब भी उसके घर में साफ-सफाई होती है तो धूल के कारण उसकी आंख-नाक से पानी आता है और हार्ट बीट भी घटती-बढ़ती है. नीता की तरह व भी कई लोग हैं जिन्हें किसी न किसी वस्तु से एलर्जी है. कभी-कभी हमारा शरीर कुछ खास चीजों जैसे धूल, धुआं, परफ्यूम, किसी खास तरह की खुशबू, दवा आदि को लेकर अधिक संवेदनशील हो जाता है और रोग प्रतिरोधक तंत्र इसे स्वीकार नहीं कर पाता है. ऐसे में खासकर स्कीन पर इसका असर रिएक्शन के रूप में दिखता है. जैसे स्कीन पर लाल-चकत्ते, आंख और नाक से पानी आना, सांस तेज चलना, बुखार आदि. इन्हें लंबे समय तक नजरअंदाज करना स्थिति को गंभीर करता है. इसलिए एलर्जी के कारकों से दूरी बनाएं- कारण : अलग-अलग लोगों में एलर्जी के कारक भिन्न होते हैं. जैसे- धूल: इसमें उपस्थित सूक्ष्मजीवी एलर्जी का कारण बनते हैं. जिससे आदमी को छींक, आंख और नाक से पानी आने की शिकायत होती है. खानपान : कुछ लोगों को अंडा, मूंगफली, दूध आदि से भी एलर्जी होती है. इन्हें खाने के बाद अक्सर स्कीन पर लाल दाने दिखते हैं. गंध : एलर्जी से पीड़ित लोगों में सबसे ज्यादा कठिनाई गंध को लेकर होती है. इसके मुद्दे ज्यादा आते हैं. रोगी को सिरदर्द, उल्टी जैसी परेशानी होती है. पालतू जानवर : घर के पालतू जानवर भी एलर्जी का कारण बनते हैं. इनके बाल और मुंह से निकली लार से ज्यादा कठिनाई होती है. मौसम में परिवर्तन : कुछ लोगों को मौसम में परिवर्तन (फरवरी-मार्च) की आरंभ और आसपास फैले परागकण से एलर्जी होती है. दवा: खास तरह की दवा जैसे दर्दनिवारक आदि लोगोंं में एलर्जी का कारण बनती है. साफ-सफाई रखें – बच्चों को इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए फल-सब्जियां अधिक खिलाएं. उन्हें धूल-धूप में खेलने दें व वहां से आने के बाद उनके हाथ-पैर अच्छे से धोएं. यदि धूल और धुएं से परेशानी है तो नाक पर रुमाल बांधकर या मास्क लगाकर बाहर निकलें. ठंड से समस्या है तो आइसक्रीम, इमली जैसी ठंडी-खट्टी चीजें न खाएं. गंदगी से एलर्जी होने पर बेडशीट, कवर, पर्दे बदलते रहें. वहीं दवा से कठिनाई हो तो उसे लेना बंद करें. खिड़कियों में जाली लगवाएं ताकि बाहर की ताजी हवा अंदर आ सके और धूल या परागकण न आएं. कई बार दीवारों पर लगी फफूंद से भी परेशानी होती है.

साफ-सफाई रखें. बारिश के मौसम में फूल वाले पौधे घर के अंदर न रखें. ऐसे होती जाँच – स्थिति स्पष्ट करने के लिए दो टैस्ट कराए जाते हैं – स्किन पैच टैस्ट : जिन चीजों से एलर्जी की संभावना होती है उसका नमूना स्किन पर पैच के जरिए लगाते हैं. इसके नतीजे सटीक होते हैं. इसे कराने का खर्च 8 से 10 हजार रुपए आता है. टैस्ट से 60 तरह की एलर्जी की जानकारी मिलती है. ब्लड टैस्ट : कुछ मामलों में पैच टैस्ट के अतिरिक्त ब्लड टैस्ट से भी एलर्जन्स की पहचान की जाती है. इलाज : दवाओं के अतिरिक्त मरीज को इम्यूनोथैरेपी भी दी जाती है. किन्हें ज्यादा खतरा – युवाओं के मुकाबले बच्चों और अधिक आयु के लोगों में यह समस्या ज्यादा होती है क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता निर्बल होती है. ऐसे में छींक, लाल चकत्ते, बुखार जैसे लक्षण दिखते हैं. एलर्जी का कारण आनुवांशिक भी होने कि सम्भावना है. यदि पेरेंट्स को धूल या किसी अन्य वस्तु से एलर्जी हो तो बच्चों में इसकी संभावना दोगुनी रहती है. 60 फीसदी मामलों में एलर्जी के कारक खानपान और धूल-धुआं हैं.

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