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चंद पैसों की खातिर स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे लोग,दूध के नाम पर बेच रहे…

आपकी और आपके बच्चों की सेहत बनाने वाला दूध धीरे धीरे आपकी जान ले रहा है। ठीक सुना आपने। वो दूध जिसे मां अपने बच्चे को मजबूत बनाने के लिए कभी प्यार से तो कभी जबरदस्ती पिलाती है वो उस बच्चे को खोखला कर रहा है। क्योंकि चंद पैसों की खातिर लोग इसमें ऐसी मिलावट कर रहे हैं जो जानलेवा है। ये रिपोर्ट देखकर आपके होश उड़ जाएंगे। क्योंकि सबूतों के साथ हाथ लगे है उस मिलावट के सबूत जो बता रहे हैं कि आपके गिलास में दूध नहीं जहर है।दरअसल कमलनाथ के राज में सफेद दूध का काला कोरोबार ज़ोरों पर चल रहा है। मध्य प्रदेश के मुरैना में जिला प्रशासन ने छापा मारकर लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे लोगों पर बड़ी कार्रवाई की है। प्रशासन ने दूध फैक्ट्री बनखंडेश्वर डेयरी पर छापा मारकर बड़ी मात्रा में सिथेटिंक दूध बरामद किया है। खास बात ये है कि इस फैक्ट्री में ऊनी कपडे धोने बाले डिटर्जेंट पाउडर, पाम ऑयल, रिफाइंड से मिलकर नकली दूध बनाया जाता था। जिसे बहुचर्चित ब्रांडेड फैक्ट्री में सप्लाई किया जाता था। फैक्ट्री में हजारों लीटर सिंथेटिक दूध से भरे टैंकर के साथ-साथ सिंथेटिक दूध बनाने के लिए रखे ड्रम, डिटरजेंट, ग्लूकोस पाउडर, वनस्पति घी वगैरह भी भारी मात्रा में मिला है।

शुरुआती जांच में पता चला है कि सिंथेटिक दूध का ये गोरखधंधा लगभग चार साल से चल रहा था। छापेमारी टीम को जो ज़हरीले सामान मिले हैं इस सामान से लगभग एक लाख लीटर मिलावटी दूध तैयार हो सकता था। सोचिए रोज़ाना इसी तरह से इस दूध की फैक्ट्री से ज़हर निकलता था और मध्य प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों तक पहुंचा था। टीम ने डेयरी पर तैयार हो रहे 12 हजार लीटर सिंथेटिक और 2500 लीटर कच्चा सिंथेटिक दूध जब्त किया। यानी कुल 14500 लीटर सिंथेटिक दूध जब्त किया गया। छापेमारी के बाद टीम ने 12 सैंपल लिए। इनमें से आठ डेयरी से और चार अग्रवाल एंड सप्लायर से लिए गए। जिसकी जांच हो रही है। मध्य प्रदेश एसटीएफ ने शुक्रवार को भिंड और मुरैना में एक साथ छापा मारा। 20 दिन पहले मिली शिकायत के बाद एसटीएफ की 20 टीमों ने छापा मारकर 57 लोगों को हिरासत में लिया और बड़ी मात्रा में केमिकल और मिलावटी 14 हजार लीटर से ज्यादा दूध, 100 किलो मावा, 1500 किलो पनीर जब्त किया। दावा है कि इन फैक्ट्रियों से मध्य प्रदेश , राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में रोजाना करीब डेढ़ लाख लीटर सिंथेटिक दूध सप्लाई  किया जाता है जो सेहत के लिए बेहद हानिकारक होता है।

पहले दूध में पांच गुना पानी, माल्टोस डेक्सिटन पाउडर, और शैंपू मिलाया जाता है। चिकनाहट के लिए रिफाइंड ऑयल और आखिर में केमिकल मिलाते हैं। इस केमिकल के इस्तेमाल से दूध जल्दी खराब नहीं होता है। जैसे ही त्योहारों का सीज़न करीब आता है दूध माफिया सक्रीय हो जाता है। उससे कोई मतलब नहीं होता है कि इस दूध से किसी सेहत खराब होती है या फिर जान जाती है उसे तो सिर्फ मुनाफे से मतलब होता है। मेडिसिन और रसायन शास्त्र के विशेषज्ञों का कहना है कि इन रसायनों से बने दूध का लंबे समय तक सेवन करने से आंतों के कैंसर का खतरा है। मासपेशियां सिकुड़ सकती हैं और किडनी में पथरी हो सकती है।

 

 

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