लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उन्नाव काण्ड की पीडिता का संज्ञान लेते हुए एक ऐतिहासिक निर्णय देकर देश की 130 करोड जनता के हृदय में न्यायपालिका के प्रति अभूतपूर्व विश्वास जताया है। केन्द्र और प्रदेश सरकार की लचर कानून व्यवस्था के फलस्वरूप विगत लगभग 2 वर्ष से एक गरीब एवं सामान्य वर्ग की कन्या दबंगों का दंश झेल रही थी और ऐसा लग रहा था कि न्याय की आशा में उत्तर प्रदेश में ही घुट घुटकर मर जायेगी अथवा मार दी जायेगी। लेेकिन मा. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायप्रिय मुख्य न्यायाधीश ने पीडित पक्ष के लोगो को विश्वास दिलाया है कि न्याय होगा।
डाॅ. अहमद ने कहा कि पीड़िता द्वारा मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह करने की कोशिश किए जाने के पश्चात योगी आदित्यनाथ जी के द्वारा आंशिक रूप से संज्ञान लेकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली थी, परन्तु उसके बाद जातिवादी पक्ष में लिप्त होने के कारण अपने प्रिय विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ लचर व्यवस्था चलती रही। मुख्यमंत्री ने इतना भयानक हादसा होेने के बाद भी पीडित पक्ष को किसी भी प्रकार का मुआवजा देना उचित नहीं समझा। जब मा. सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदेष सरकार को फटकार लगायी तब मुआवजा भुगतान किया गया। पीडित पक्ष द्वारा प्रदेश के सभी सक्षम अधिकारियों को पत्र द्वारा अपने तथा अपने परिवार के प्रति सम्भावित खतरों की जानकारी दी गयी परन्तु प्रदेश पुलिस ने कोई भी कार्यवाही न करके विधायक को सरक्षण दिया तथा मा. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देषों का खुला उल्लंघन किया और मुकदमें के गवाहों की सुरक्षा नहीं की।
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उ0प्र0 के इतिहास में इतना घृणित और वीभत्स काण्ड दूसरा नहीं है। केन्द्र और प्रदेश की भाजपा सरकारों ने महिला सुरक्षा, बेटी बचाओं बेटी पढाओं तथा सबका साथ, सबका विश्वास जैसे मुददों पर अपना रूख स्पष्ट कर दिया है। देश और प्रदेश की जनता को भी इस दर्दनाक तथा अफसोसजनक काण्ड से भाजपा सरकार का आकलन कर लेना चाहिए कि इनके शासन में कथनी और करनी में कितना अन्तर है।