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सलाखों के पीछे होने के बावजूद तिहाड़ में बाज़ नहीं आ रहे कैदी, पेट के अंदर छिपाया मोबाइल व …

तिहाड़ कारागार का तिलिस्म आज तक किसी की समझ में नहीं आया है. जब से तिहाड़ बनी है तब से अब तक अनगिनत तेज-तरार्र कारागार महानिदेशक आकर चले गए. किसी ने तिहाड़ को आश्रम बनाने का ख्वाब देखा तो किसी ने इसे मनुष्य ज़िंदगी की सवोर्त्तम पाठशाला बनाने के लंबे-लंबे वायदे किए. अब नये मौजूदा तिहाड़ कारागार महानिदेशक संदीप गोयल कारागार में बंद तमाम खूंखार  हाई-प्रोफाइल कैदियों से मोबाइल को दूर करने में जुटे हैं. इन तमाम प्रयासों के बावजूद आलम यह है कि भूले-भटके कहीं न कहीं, कभी न कभी, किसी न किसी कैदी के पास से मोबाइल मिल ही जाता है.

ने कारागार के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक बताया कि अब तक मोबाइल कैदियों की बैरक या कोठरी या फिर उनके सामान के अंदर छिपा मिलता था. इस बार एक शातिर कैदी ने जो कमाल किया वो वास्तव में हैरतंगेज है. इस बार मोबाइल न किसी बैरक से मिला  न ही किसी सामान या कोठरी के भीतर छिपाकर रखा गया था. तिहाड़ कारागार सूत्रों के मुताबिक, इस बार मोबाइल एक कैदी के पेट से निकलवाकर जब्त किया गया है.

कैदी के पेट के भीतर से मोबाइल बरामद होने की यह हैरतंगेज घटना तिहाड़ की ही एक कारागार की बताई जाती है. हालांकि ऐसा नहीं है कि तिहाड़ कारागार में पहली बार किसी कैदी के पेट के अंदर छिपा मोबाइल बरामद हुआ हो. कुछ समय पहले दिल्ली की एक अन्य कारागार में सजा काट रहे कैदी के भी पेट के अंदर छिपा मोबाइल जब्त किया गया था. उस मुद्दे में बात तो यहां तक बाहर निकल कर आ रही थी कि, कैदी के पेट में चार मोबाइल थे. जिनमें से तीन मोबाइल पेट के बाहर निकलवा लिए गए, जबकि पेट के अंदर शेष मोबाइल को बाहर निकालने की कोशिशें बाद में भी लंबे समय तक जारी रहीं. हालांकि कारागार के एक सूत्र ने सिर्फ एक मोबाइल बरामद होने की पुष्टि की थी.

कारागार महानिदेशक संदीप गोयल ने आईएएनएस ने कहा, “जेल में कोई तानाशाही नहीं है, सब तरफ शांति है.” दूसरी ओर तिहाड़ की चार नंबर कारागार में बंद कैदी के पेट से मोबाइल बरामद होने की घटना को लेकर दिल्ली की बाकी जेलों में भी चचार्ओं का मार्केट गरम है.
तिहाड़ कारागार से जुड़े सूत्र बताते हैं कि बीते हफ्ते (शुक्रवार 16 अगस्त ) दोपहर के वक्त भी एक अत्याधुनिक मोबाइल कारागार नंबर-4 से ही जब्त हुआ था.वह मोबाइल उस वक्त मिला जब कारागार के अधिकतर कर्मचारी ड्यूटी बदलने में (दोपहर बाद 1 से तीन बजे के बीच में) व्यस्त थे, जबकि अधिकतर कैदीकारागार की कोठरियों में आराम कर रहे थे.

नाम उजागर न करने की शर्त पर तिहाड़ कारागार के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने आईएएनएस को बताया कि बेहद छोटे  पतले डिजाइन वाला कीमती मोबाइल विपश्यना (जहां तिहाड़ के कैदी योगाभ्यास इत्यादि करते हैं /करते थे) वार्ड से मिला था इस वार्ड में वैसे कुछ चुनिंदा  हाई-प्रोफाइल कैदी रखे गए हैं. मोबाइल को तिहाड़ कारागार महानिदेशक द्वारा गठित विशेष छापामार दल ने बरामद किया. बरामदगी के वक्त मोबाइल को ‘टीवी-पोर्ट’ में चार्ज पर लगा हुआ था.

छापा मारने वाली टीम के लाख पूछने पर भी अभी तक यह बात सामने नहीं आ पाई है कि आखिर विपश्यना वार्ड में (जेल के भीतर) इतना कीमती मोबाइल आखिर पहुंचा कैसे? छापामार दल द्वारा मोबाइल के मालिक के बारे में पूछताछ करने पर किसी भी कैदी ने कबूल नहीं किया कि मोबाइल उसका है.

इन हालातों में कम से कम यह साबित हो गया है कि, तिहाड़ कारागार के चाक-चौबंद इंतजामों के बाद भी यहां मोबाइल ले जाना कोई बड़ी बात नहीं है. यहां उल्लेखनीय है कि आईएएनएस को अगस्त के प्रारम्भ में दिये एक खास इंटरव्यू में नव-नियुक्त कारागार महानिदेशक संदीप गोयल ने भी कारागार में मोबाइल के प्रयोग की बात बेबाकी से मानी थी.

साथ ही उन्होंने बोला था कि उनकी अहमियत यहां चल रहे मोबाइल के इस ‘खतरनाक खेल’ को नेस्तनाबूद करना होगा. ऐसे में इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि तिहाड़ या फिर दिल्ली की अन्य जेलों से मोबाइलों की धड़ाधड़ बरामदगी नए कारागार महानिदेशक द्वारा उठाए गए किसी कठोर  गुप्त कदम या फिर रणनीति का ही भाग या परिणति हो.

लगातार मोबाइल जब्ती के बाद कम से कम यह तो है कि, मोटी रकम खर्च करने के बाद भले ही मोबाइल कारागार के अंदर पहुंच रहे हों, मगर इन मोबाइल को जब्त कर लिए जाने से कैदियों की तमाम खतरनाक भावी योजनाओं पर वक्त रहते पानी फेर दिया जा रहा है.

 

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