Breaking News

निजता मौलिक अधिकार

उच्चतम न्यायालय ने आज अपना फैसला सुनाते हुए निजता के अधिकार को भारत के संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया। प्रधान न्यायाधीश जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसले में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए अधिकारों के अंतर्गत प्राकृतिक रूप से निजता का अधिकार संरक्षित है। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति एएम सप्रे, न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं और उन्होंने भी समान विचार व्यक्त किए।
इससे पहले, प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने इस सवाल पर तीन सप्ताह के दौरान करीब छह दिन तक सुनवाई की थी कि क्या निजता के अधिकार को संविधान में प्रदत्त एक मौलिक अधिकार माना जा सकता है। यह सुनवाई दो अगस्त को पूरी हुयी थी। सुनवाई के दौरान निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार में शामिल करने के पक्ष और विरोध में दलीलें दी गयीं।

 

About Samar Saleel

Check Also

कतर से रिहा होकर लौटे सौरभ और उनके पिता ने PM को लिखा पत्र, कहा- उम्मीद थी कोई कसर नहीं छोड़ेंगे

नई दिल्ली: कतर ने जिन आठ भारतीय नौसेना के पूर्व कर्मचारियों को मौत की सजा ...