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टूटते संयुक्त परिवारों ने बढ़ाई बुजुर्गों की परेशानी : रीता बहुगुणा

लखनऊ। विधायिका कानून बनाती है। कार्यपालिका उनके हिसाब से योजनाओं की रूपरेखा तय करती है। न्यायालय की सलाह से उनमें संशोधन भी होते हैं। इसलिए सिर्फ कानून बन जाना ही पर्याप्त नहीं है। जरूरी है लोगों को जानकारी और जागरूक होना। कानून प्रभावी होना चाहिए। बुजुर्गों की समस्याएं कुटुंब के बिखरने से आ रही हैं। भारतीय जीवनदर्शन में परिवार मैं और मेरा तक सीमित नहीं। यहां संयुक्त परिवार की परंपरा है। ननिहाल और ददिहाल को परिवार से अलग कर देना ही समस्या की बुनियाद है। परिवार से दूरी ही बुजुर्ग को तकलीफ़ झेलने पर मजबूर करती हैं। बच्चे तो बड़ों से

ही सीखते हैं। इसलिए बड़े भी बच्चों के सामने कोई ऐसा व्यवहार न करें जिसका ग़लत प्रभाव पड़ता है। बुजुर्ग उम्मीद करते हैं कि बच्चे फैसले लेते समय उनसे भी सलाह लें। यकीन मानिए आपके अपने कभी आपको मना नहीं करेंगे। यह बातें महिला, परिवार और बाल कल्याण मंत्री डॉ. रीता बहुगुणा जोशी ने पुलिस लाइन स्थित संगोष्ठी सभागार में व्यक्त किए। वह गाइड समाज कल्याण संस्थान और लखनऊ पुलिस की ओर से बुधवार वरिष्ठ नागरिक मध्यस्थता प्रकोष्ठ और गोल्डेडएज हेल्पलाइन के औपचारिक लोकार्पण के अवसर पर बोल रहीं थीं। उन्होंने बताया कि बुजुर्गों को भी बदलती परिस्थियों के लिए तैयार रहना चा
हिए। बुजुर्गों को ओल्डएज सिक्योरिटी पर भी काम करना चाहिए। एक ही रिश्ता दुनिया में ऐसा जो रिटर्न नहीं मांगता। मां बाप कभी भी अपने त्याग और परिश्रम के बदले बच्चों से कोई उम्मीद नहीं रखते।

 

बुजुर्गों की मदद करेगी टोल फ्री हेल्पलाइन : गाइड समाज कल्याण समिति की संस्थापक निदशक डॉ इंदु सुभाष ने बताया कि बुजुर्गों को मानसिक, आर्थिक, भावनात्मक मदद पहुंचाने को लेकर शुरू की गई टोलफ्री गोल्डनएज । हेल्पलाइन 1800-180-0060 निरंतर काम करेगी। इस पर कोई भी कॉल कर अपनी समस्या दर्ज करवा सकता है। इसके अलावा वरिष्ठ नागरिक मध्यस्थता प्रकोष्ठ की ओर से माह के पहले और तीसरे गुरुवार को पूरे दिन बुजुर्गों से जुड़े हुए मामलों का ऑफ द कोर्ट निपटारा और पक्षकारों की काउंसिलिंग की जाएगी। इसके लिए राजधानी के सभी पुलिस थानों, रेलवे, नागरिक पुलिस सहित जागरूक नागरिकों से भी सअहयोग करने को कहा गया है।

युवा मानसिकता में सुधार की ज़रूरत : अध्यक्षता कर रहे उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति कमलेश्वर नाथ ने कहा कि गाइड संस्था बड़ी मेहनत, लगन और ईमानदारी से काम कर रही है। हमारे युवा वर्ग की मानसिकता में सुधार की आवश्यकता है। आज का युवा कहता है कि यह मेरा जीवन है जैसे चाहें जिएं। मैं पूछता हूं यह उनकी लाइफ कैसे हो गई। माता, पिता, परिवार, समाज के सहयोग, समन्वय, स्नेह के बीच उनकी परवरिश हुई है। इसलिए उन सबके प्रति उनके बहुत से दायित्व भी हैं। युवाओं को अपनी अंतःकरण की बात को भी सुनना चाहिए। आत्मा पवित्र है, अक्षय है वह हर गलत काम को करने से पहले रोकती है। जो युवा उसकी बात सुनते हैं वह गलत नहीं करेंगे। युवा यह याद रखें कि वह भी कभी बूढ़े होंगे, आपके बच्चे वही व्यवहार आपके साथ करेंगे जो आपने अपने बुजुर्गों के साथ किया है।

बुजुर्गों का सम्मान कम होना चिंताजनक : इससे पहले विषय प्रवेश करते हुए उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति एससी वर्मा ने कहा कि समाज की सबसे घातक समस्या को हल करने की दिशा में शुरुआत हुई है। बुजुर्गों को होने वाली परेशानी के पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं। बुजुर्गों का भी कर्तव्य है कि हम अपने बच्चों को आदर्श, जीवन मूल्य की शिक्षा दें ताकि बच्चे उस संस्कार को जान सकें। युवाओं से आग्रह है कि बुज़ुर्ग का सम्मान करें क्योंकि एज दिन सभी को बुजुर्ग होना है।

 

 

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