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शून्य लागत प्राकृतिक कृषि से ही होगा स्मस्याओं का समाधान

लखनऊ । भारत में हरित क्रांति के नाम पर अन्धाधुंध रासायनिक उर्वरकों, हानिकारक कीटनाशकों, हाईब्रिड बीजों एवं अत्यधिक भूजल उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति, खाद्यान्न उत्पादन,भूजल स्तर और मानव स्वास्थ्य में निरन्तर कमी आयी है। यह जानकारी देते हुए लोक भारती के संगठन भारती ब्रजेन्द्र पाल सिंह ने बताया कि ऐसे में ऐसी कृषि पद्धति को अपनाया जाना चाहिए जिससे किसान को बाजार के शोषणकारी व्यवस्था से बचाया जा सके, उत्पादन न घटे और खेत उपजाऊ बने रहें तथा मानव का स्वास्थ्य व पर्यावरण ठीक रहे। श्री सिंह ने बताया कि शून्य लागत प्राकृतिक खेती से किसान को खेती के लिए बाजार से कुछ भी नही खरीदना पड़ेगा।

श्री सिंह ने बताया कि इस तरह की खेती को बढ़ावा देने के लिए लोक भरती द्वारा आगामी 20 से 25 दिसंबर तक बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ में छः दिवसीय प्रगतिशील, प्रयोगधर्मी किसानों का प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया है। जिसमें उत्तर प्रदेश के सभी 921 विकास खण्डों से कम से कम एक किसान तथा शेष भारत के 15 राज्यों के 1500 किसान उपस्थित रहेंगे। इस मौके पर शून्य लागत प्राकृतिक खेती पद्धति के जन्मदाता पद्मश्री सुभाष पालेकर द्वारा किसानों को व्यवस्थित तरीके से पूर्ण रूप से प्रशिक्षित किया जायेगा। इस तरह की खेती करने से पर्यावारण जल, मानव स्वास्थ्य, देशी गौवंश भूमि संरक्षण स्वाभाविक रूप से हो जाता है। इस मौके पर एसआर ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशन के चेयरमैन पवन सिंह चौहान ने बताया की इस तरह की पद्वति पर आधारित कृषि से एक ओर जहां किसानो का विकास होगा तो वहीं दूसरी तरफ पर्यावरण को भी फायदा होगा।
इस मौके पर उपस्थित संगठन मंत्री ने बताया कि इस प्रशिक्षण शिविर में प्रतिभाग करने के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी हैं जिसका शुल्क 500 रूपये हैं। इसके साथ ही इनिवार्य है कि प्रतिभाग करने वाले किसान के पास कम से कम एक देशी गाय अवश्य हो।
प्रेस वार्ता के दौरान लोक भारती के प्रकृतिक कृषि अभियान के समन्वयक गोपाल उपाध्याय, कार्यक्रम समन्वयक महीप कुमार, उपाध्यक्ष अजय प्रकाश, संपर्क प्रमुख श्रीकृष्ण चैधरी, प्रचार प्रमुख शेखर त्रिपाठी, डा. नवीन सक्सेना सहित अन्य लोग मौजूद थे।

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