रायबरेली। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति द्वारा आयोजित Alankaran अलंकरण एवं काव्यांजलि समारोह के द्वितीय सत्र में देश के मशहूर कवि और शायरों ने शिरकत की। काव्यांजलि समारोह के प्रारम्भ में सभी कवियों द्वारा आचार्य प्रवर एवं मां सरस्वती की पूजा अर्चना की गई एवं समिति के सदस्यों ने सभी कवियों और शायरों का स्वागत किया।
Alankaran एवं काव्यांजलि समारोह में
अलंकरण Alankaran एवं काव्यांजलि समारोह में कवि दिलीप दु कानपुर ने आज की मंहगी शिक्षा पर प्रहार करते हुए कहा कि ‘डिग्रियां हासिल करने में जो हो गई लाखों की उधारी, ता मैं बन गया भिखारी।’ साथ ही शिक्षा को व्यवसाय बनाए जाने पर भी उन्होंने करारा व्यंग्य करते हुए कहा कि ‘माना की शिक्षा की अंधी दौड़ ने अंधा बना दिया है, लेकिन इस देश में कुछ लोगों ने शिक्षा को ही धंधा बना दिया है।’
नई दिल्ली के कवि चिराग जैन ने नैतिक मूल्यों पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि ‘त्याग दी हर कामना निष्काम बनने के लिए, राम ने खोया बहुत कुछ श्रीराम बनने के लिए।’ साथ ही ‘जा महफिल में गुंजित होगी बच्चन जी की मधुशाला, क्या कर लेंगी शीला, मुन्नी क्या कर लेगा ऊ-ला-ला’ पर खूब तालियां बटोरीं।
लखनऊ से पधारे हास्य कवि मुकुल महान ने व्यंग्य के माध्यम से सरकारी अस्पतालों की हकीकत को उजागर करते हुए कहा कि ‘वार्ड वाय बोला आदमी हो कि दरिन्दे हो, सरकारी अस्पताल में अभी तक जिन्दा हो।’ मुम्बई से पधारी प्रसिद्ध शायरा शबीना अदीब ने जो ‘हमें बना के तुम अपनी चाहत, खुशी को दिल के करीब ले लो।
तुम्हें हम अपना नसीब कर लें हमें तुम अपना नसीब कर लो।’ पंक्तियां पढ़ी तो सारा हाल झूम उठा। साथ ही ‘खामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है’ गजल के माध्यम से उन्होंने सबका मन जीत लिया।