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भगवान का नाम लेना अधिक सार्थक होगा: भारती गाँधी

बुढ़ापे में भगवान का नाम जपेगें और भगवान का काम करेंगे ये विचार मेरे दृष्टिकोण में कम सही है। मेरा दृष्टिकोण यह है कि जब पूरी शक्ति हो तभी भगवान का नाम लेना अधिक सार्थक होगा। इसका कारण है कि तब जीवन में ऊर्जा होती है तभी ऊर्जा का सही प्रयोग सही दिशा में करना उचित है। इसके लिए आप सभी कार्य को करने के लिए अपने पूरे 24 घंटे को कई टुकड़ों में बांट सकते हैं जैसे:-
(1) प्रार्थना करना
(2) प्रार्थना के शब्दों पर मनन करना।
(3) जो भी कार्य करना है उसकी सूची बनाना।
(4) प्रत्येक कार्य को सच्चाई व लगन से करना अर्थात् प्रत्येक कर्म को पूजा समझकर करना। जब प्रत्येक कर्म को पूजा समझेंगे तो उस कर्म में कुशलता होगी और हर पल वो कर्म प्रभु को अर्पण होगा।
(5) जब तक ऊर्जा है, तब तक सब काम सुगमता से व सहर्ष करते रहें।
(6) जो भगवान छोटे से बच्चे को मा-बाप देता है, रोगी को भोजन देता है और कैदी को भी भोजन देता है, तो क्या वो भगवान सदाचार करने वाले इंसान को, उपकार करने वाले इंसान को भोजन क्यों नहीं देगा?
(7) बुढ़ापे में जब शक्तियां क्षीण हो जातीं हैं और साधनों की जैसे धन इत्यादि की कमी हो जाती है उस समय सोचने से कोई लाभ नहीं होगा। अतः शुरू से ही उन कामों को करें, जिनको कि लोग सोचते हैं कि बुढ़ापे में करेंगे।

 

डाॅ. भारती गाँधी
संस्थापिका-निदेशिका, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ

 

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