लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) के फैकल्टी ऑफ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन (Faculty of Yoga and Alternative Medicine) के तत्वाधान में फैकल्टी के योग सभागार (Yoga Auditorium) में द्वितीय दिवस पर उज्जायी, सूर्यभेदी और चंद्रभेदी प्राणायाम सत्र का आयोजन किया गया। इस अवसर पर योग विशेषज्ञों ने उज्जायी, सूर्यभेदी और चंद्रभेदी प्राणायाम के बारे में सारगर्भित जानकारी दी।
सूर्यभेदी और चंद्रभेदी प्राणायाम सत्र में योग विशेषज्ञ कृष्ण कुमार शुक्ल ने बताया कि सूर्यभेदी प्राणायाम शरीर में गर्मी पैदा करता है। शरीर में ऑक्सीजन लेवल को संतुलित करता है। योगाचार्य ने बताया कि इसी तरह चंद्रभेदी प्राणायाम शरीर में शीतलता प्रदान करता है, जिससे एसिडिटी और खट्टी डकार में राहत मिलती है।
संकाय के-कोआर्डिनेटर डॉ अमरजीत यादव ने कहा कि प्राणायाम का मुख्य उद्देश्य ऑटोनॉमस नर्वस सिस्टम पर नियंत्रण स्थापित करना तथा इसके माध्यम से मानसिक कार्यों को प्रभावित करना है। उन्होंने कहा कि हाई ब्लड प्रेशर के रोगी को सूर्यभेदी प्राणायाम से बचना चाहिए। ऐसे लोगों को चंद्रभेदी प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। इसी तरह डिप्रेशन में रहने वाले लोगों को सूर्यभेदी प्राणायाम का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। विशेषज्ञ किशोर कुमार शुक्ला ने बताया कि उज्जायी प्राणायाम का अभ्यास करने से थायराइड में विशेष लाभ मिलता है।
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द्वितीय सत्र में डॉ उमेश कुमार शुक्ला ने कहा कि प्राणायाम के वैज्ञानिक पक्ष के साथ-साथ इसके आध्यात्मिक पक्ष का भी ध्यान रखना चाहिए। डॉ सत्येंद्र कुमार मिश्रा ने कहा कि पंच प्राणों का शरीर में महत्वपूर्ण स्थान है। प्राणायाम साधना से प्राण को संतुलित किया जाता है। प्राण संतुलन से शरीर स्वस्थ रहता है। प्रतिदिन प्राणायाम के अभ्यास से वैज्ञानिक और आध्यात्मिक लाभ मिलता है। डॉक्टर सुधीर कुमार मिश्रा ने कहा कि प्राणायाम के अभ्यास से व्यक्ति में चेतना का विकास होता है। चेतना जीवन का आधार है। चेतन व्यक्ति ही जीवन में विकास कर पाता है।