भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(ISRO) के लिए आज का दिन बेहद खास माना जा रहा है, ऐसा इसलिए कि क्योंकि आज के ही दिन चांद पर उतरने के लिए चंद्रयान-2 से विक्रम लैंडर अलग होगा। आज के दिन इसरो की नजर चंद्रयान-2 पर बनी रहेगी।
बता दें कि 1 सितंबर की शाम 6.21 बजे ISRO ने चंद्रयान-2 को चंद्रमा की पांचवीं कक्षा में डाला था। इसरो की तरफ से बताया गया कि अभी चंद्रयान-2 चांद के चारों तरफ 119 किमी की एपोजी (चांद से सबसे कम दूरी) और 127 किमी की पेरीजी (चांद से ज्यादा दूरी) में चक्कर लगा रहा है। आज यानी 2 सितंबर को विक्रम लैंडर, चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा। दोपहर 12.45 से 13.45 के बीच इसरो वैज्ञानिक इस काम को अंजाम देंगे।
चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से अलग होने के बाद भी करीब 20 घंटे तक विक्रम लैंडर ऑर्बिटर के पीछे-पीछे उसी कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा। आपको बता दें कि चंद्रयान-2 तीन हिस्सों से मिलकर बना है – पहला- ऑर्बिटर, दूसरा- विक्रम लैंडर और तीसरा- प्रज्ञान रोवर। विक्रम लैंडर के अंदर ही प्रज्ञान रोवर है, जो सॉफ्ट लैंडिंग के बाद बाहर निकलेगा।
3 सितंबर को सुबह 9.00 से 10.00 बजे के बीच विक्रम लैंडर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का पीछ छोड़ नई कक्षा में जाएगा। इस ऑर्बिट में डालने के लिए इसरो वैज्ञानिक करीब 3 सेकंड के लिए उसका इंजन ऑन करेंगे। इसके बाद विक्रम लैंडर 109 किमी की एपोजी और 120 किमी की पेरीजी में चांद के चारों तरफ अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाएगा।
वहीं 4 सितंबर को इसरो वैज्ञानिक विक्रम लैंडर को चांद के सबसे नजदीकी कक्षा में पहुंचाएंगे। इस कक्षा की एपोजी 36 किमी और पेरीजी 110 किमी होगी। अगले तीन दिनों तक विक्रम लैंडर इसी अंडाकार कक्षा में चांद का चक्कर लगाता रहेगा। इस दौरान इसरो वैज्ञानिक विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के सेहत की जांच करते रहेंगे।
इसरो के लिए 7 सितंबर का दिन काफी अहम होगा। क्योंकि सात सितंबर को ही 1:30 बजे रात (6 और 7 सितंबर की दरम्यानी रात) – विक्रम लैंडर 35 किमी की ऊंचाई से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना शुरू करेगा। यह इसरो वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण काम होगा।
- 1:55 बजे रात – विक्रम लैंडर दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद दो क्रेटर मैंजिनस-सी और सिंपेलियस-एन के बीच मौजूद मैदान में उतरेगा। लैंडर 2 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर उतरेगा। ये 15 मिनट बेहद तनावपूर्ण होंगे।
- 3.55 बजे रात – लैंडिंग के करीब 2 घंटे के बाद विक्रम लैंडर का रैंप खुलेगा। इसी के जरिए 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा।
- 5.05 बजे सुबह – प्रज्ञान रोवर का सोलर पैनल खुलेगा। इसी सोलर पैनल के जरिए वह ऊर्जा हासिल करेगा।
- 5.10 बजे सुबह – प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर चलना शुरू करेगा। वह एक सेंटीमीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर 14 दिनों तक यात्रा करेगा। इस दौरान वह 500 मीटर की दूरी तय करेगा।