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प्रधानमंत्री के 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के लक्ष्य को हासिल करने में मध्य क्षेत्रीय परिषद के राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका- अमित शाह

प्रधानमंत्री के 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के लक्ष्य को हासिल करने में मध्य क्षेत्रीय परिषद के राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका- अमित शाह

नई दिल्ली,(दया शंकर चौधरी। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Union Home and Cooperation Minister Amit Shah) ने आज (24 जून) वाराणसी, उत्तर प्रदेश में मध्य क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath), उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Uttarakhand Chief Minister Pushkar Singh Dhami), मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव (Madhya Pradesh Chief Minister Mohan Yadav) और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (Chhattisgarh Chief Minister Vishnu Dev Sai) ने भाग लिया। बैठक में सदस्य राज्यों के वरिष्ठ मंत्री, केन्द्रीय गृह सचिव, अंतर-राज्य परिषद सचिवालय के सचिव, सदस्य राज्यों के मुख्य सचिव और राज्यों तथा केन्द्रीय मंत्रालयों एवं विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।

बैठक में गृह मंत्री, सभी मुख्यमंत्री एवं सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति और भारतीय सशस्त्र सेनाओं के पराक्रम के अभिनंदन का प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसका परिषद ने ध्वनिमत से अनुमोदन किया। अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के लक्ष्य को हासिल करने में मध्य क्षेत्रीय परिषद के राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि मध्य क्षेत्रीय परिषद ही एकमात्र ऐसी क्षेत्रीय परिषद है जहां दो सदस्य राज्यों के बीच किसी प्रकार की कोई समस्या या विवाद नहीं है और यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

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बैठक में गृह मंत्री ने कहा कि जहाँ 2004-14 तक जोनल कौंसिल के सिर्फ 11 मीटिंग्स और स्टैंडिंग कमिटीज ऑफ़ जोनल कौंसिल्स के सिर्फ 14 मीटिंग्स हुए थे, वहीं 2014-25 में जोनल काउंसिल के 28 मीटिंग्स और स्टैंडिंग कमिटीज ऑफ़ जोनल कौंसिल्स के 33 मीटिंग्स हुए हैं, जो कि कुल 2 गुना वृद्धि है। साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब तक इन बैठकों में 1287 मुद्दों का निराकरण किया गया है, जो कि अपने आप में ऐतिहासिक भी है और उत्साह बढ़ाने वाला भी है।

बैठक में गृह मंत्री ने सदस्य राज्यों की ग्राम पंचायतों की आय बढ़ाने और इसके लिए नियम बनाने को भी कहा। उन्होंने कहा कि पंचायतों की आय बढ़ने से ही भारत की त्रिस्तरीय लोकतांत्रिक पंचायती राज व्यवस्था और अधिक कारगर होगी।

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आज की बैठक में राष्ट्रीय महत्व के व्यापक विषयों सहित कुल 19 मुद्दों पर चर्चा हुई। इनमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ दुष्कर्म के मामलों की त्वरित जांच और इनके शीघ्र निपटान के लिए फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (FTSC) का कार्यान्वयन, प्रत्येक गांव के नियत दायरे में ब्रिक-एंड-मोर्टार बैंकिंग सुविधा और आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ERSS-112) का कार्यान्वयन जैसे विभिन्न मुद्दे शामिल रहे। बैठक में गृह मंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय परिषद के सभी राज्य बच्चों में कुपोषण दूर करने, ड्रॉप-आउट रेश्यो को जीरो करने और सहकारिता को सुदृढ़ बनाना सुनिश्चित करें।

राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की धारा 15 से 22 के तहत पांच क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की गई थी। केंद्रीय गृह मंत्री इन पांचों क्षेत्रीय परिषदों के अध्यक्ष हैं और सदस्य राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री, उप-राज्यपाल, प्रशासक इनके सदस्य हैं, जिनमें से सदस्य राज्यों से एक राज्य के मुख्यमंत्री (हर साल बारी-बारी से) उपाध्यक्ष होते हैं। प्रत्येक सदस्य राज्य से राज्यपाल द्वारा 2 मंत्रियों को परिषद के सदस्य के रूप में नामित किया जाता है। प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद ने मुख्य सचिवों के स्तर पर एक स्थायी समिति का भी गठन किया है। राज्यों द्वारा प्रस्तावित मुद्दों को प्रथमतः संबन्धित क्षेत्रीय परिषद की स्थायी समितियों के समक्ष चर्चा के लिए प्रस्तुत किया जाता है। स्थायी समितियों में विचार के बाद शेष बचे मुद्दों को क्षेत्रीय परिषदों की बैठकों में विचार के लिए प्रस्तुत किया जाता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सर्वांगीण विकास के लिए सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद का लाभ उठाने की आवश्यकता पर बल दिया है। ‘मजबूत राज्य ही मजबूत राष्ट्र बनाते हैं’ की भावना से क्षेत्रीय परिषदें दो या अधिक राज्यों अथवा केंद्र और राज्यों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर संवाद और चर्चा के लिए एक व्यवस्थित तंत्र और इसके जरिये आपसी सहयोग बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करती हैं।

क्षेत्रीय परिषदों की भूमिका सलाहकारी है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ये परिषदें विभिन्न क्षेत्रों में आपसी समझ और सहयोग के स्वस्थ बंधन को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कारक साबित हुई हैं। सभी राज्य सरकारों, केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के सहयोग से पिछले ग्यारह वर्षों में विभिन्न क्षेत्रीय परिषदों और इनकी स्थायी समितियों की अब तक कुल 62 बैठकें आयोजित हुईं है।

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