13 मई को कान फिल्म फेस्टिवल में होगा ‘ओमलो’ का प्रीमियर
Entertainment Desk। राजस्थान (Rajasthan) की धरती पर उभरती कला और संस्कृति को नई पहचान देने वाली फिल्म ‘ओमलो’ (Film Omlo) ने कान फिल्म फेस्टिवल में अपनी उपस्थिति दर्ज कर इतिहास रच दिया है। इस राजस्थानी फिल्म ने विश्व सिनेमा के मंच पर (Stage of World Cinema) अपनी सशक्त कहानी (Powerful Story) और वास्तविक प्रस्तुति से सभी का ध्यान आकर्षित किया है।
‘ओमलो’ की कहानी एक 7 साल के मासूम बच्चे और एक ऊँट की जीवन शैली पर आधारित है। यह फिल्म पारिवारिक हिंसा, पितृसत्ता और पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाले मानसिक शोषण जैसे गंभीर विषयों को संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करती है। फिल्म की सिनेमेटिक शैली रियलिस्टिक और रॉ सिनेमा की मिसाल है, जो दर्शकों को अंदर तक झकझोर देती है। ऊँट और बच्चे के रिश्ते के माध्यम से यह फिल्म दर्शाती है कि कभी-कभी इंसानों से ज़्यादा संवेदनशीलता जानवरों में होती है।
फिल्म के निर्माता और निर्देशक सोनू रणदीप चौधरी ने अपनी पहली ही फिल्म ‘ओमलो’ से कान फिल्म फेस्टिवल में कदम रखा। थिएटर में 15 साल का अनुभव रखने वाले सोनू ने बिना किसी फिल्म स्कूल की डिग्री के अपने कौशल को निखारा। उनकी मेहनत और सच्चाई ने उन्हें मुंबई तक पहुँचाया। सोनू का मानना है कि सिनेमा एक कला है, जो सच्चाई और संवेदनशीलता को दर्शाती है।
कोटा जिले के रहने वाले रोहित जयरामदास माखिजा ने ‘ओमलो’ में सबसे बड़ा निवेश किया है। एक व्यापारी से फिल्म निर्माता बने रोहित का मानना है कि सिनेमा एक प्रभावशाली माध्यम है जो समाज में बदलाव ला सकता है। उन्होंने फिल्म निर्माण और कास्टिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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बारां जिले (केलवाड़ा) के यतिन राठौर ने मुंबई में 8 वर्षों से थिएटर में अपने कला निर्देशन के अनुभव को निखारा। ‘ओमलो’ में कला निर्देशन के माध्यम से उन्होंने फिल्म के दृश्यों को गहराई और सजीवता प्रदान की।
चुरू जिले के व्यवसायी अजय राठौड़ ने ‘ओमलो’ से फिल्म निर्माण में कदम रखा। अपने व्यापारिक कौशल को सिनेमा में समर्पित करते हुए, उन्होंने फिल्म को नए दृष्टिकोण और गहराई प्रदान की।
इस फिल्म का चयन कान फिल्म फेस्टिवल में होना राजस्थान के फिल्म उद्योग के लिए गर्व का क्षण है। यह साबित करता है कि सच्ची कहानी और ईमानदार प्रस्तुति से वैश्विक मंच पर पहचान बनाई जा सकती है।