Breaking News

पुतिन के साथ संभावित बैठक से पहले Donald Trump ने Russia-Ukraine War पर बदली अपनी रणनीति

किशन सनमुखदास भावनानीं

वैश्विक स्तर पर सर्वविदित है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के कैंपेन में उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने हर चुनावी सभा में अनेकों वादे किए थे, जो चुनने के बाद क्रमवार, एक प्रक्रिया के तहत पूरे करते जा रहे हैं। पहले टैरिफ बढ़ाना (increasing tariffs), अवैध अप्रवासियों को निकालना, अमेरिकी फर्स्ट संकल्प को आगे बढ़ाने के साथ अब रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War ) को समाप्त करने पर फोकस किया जा रहा है। परंतु यह किसी को उम्मीद नहीं थी कि इस पीस प्रक्रिया में यूक्रेन को ही बाहर कर दिया जाएगा? हाल ही में यूक्रेन अमेरिका सहित कुछ देशों की सऊदी अरब (Saudi Arabia) के रियाद (Riyadh) में बैठक संपन्न हुई, जिसमें रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने, दोनों देशों की लगातार बातचीत कराने और शांति बहाल करने पर सहमति हुई थी।

अब अमेरिकी राष्ट्रपति के बयानों से प्रतीत होता है कि बैठकों में यूक्रेन और यूरोप को शामिल न कर ट्रंप एकला चलो की राह पर यूरोपीय संघ व यूक्रेन को नजर अंदाज कर रहे हैं, जो रेखांकित करने वाली बात है। रियाद बैठक के बाद अब सबकी नज़रें ट्रंप-पुतिन की संभावित बैठक पर लगी हुई है? चूँकि डोनाल्ड ट्रंप ने रूस यूक्रेन युद्ध का ठीकरा यूक्रेन पर फोड़कर अपनी रणनीति का संकेत दिया है तथा यूक्रेन में युद्ध पर यूरोपीय संघ के आपातकालीन शिखर सम्मेलन में ट्रंप की अनदेखी कर ट्रंप की शांति प्रक्रिया से यूरोप अलग- थलग पड़ा हैँ? यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग को लेकर अमेरिका का रुख ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से बदला हुआ लग रहा है। उन्होंने पिछले दिनों यह कहकर यूक्रेन समेत सभी को चौंका दिया था कि जंग के लिए कीव जिम्मेदार है। अब तक जो बाइडेन सरकार यूक्रेन का समर्थन कर रही थी और रूस को ही इस जंग की वजह बता रही थी।

 

रूस-यूक्रेन युद्ध अगले सप्ताह चौथे वर्ष में प्रवेश कर जाएगा। इस बीच यूक्रेन और रूस के लिए अमेरिका के विशेष दूत कीव पहुंचे हैं। वह यहां राष्ट्रपति जेलेंस्की एवं सैन्य कमांडरों के साथ बातचीत करेंगे। रूस को अलग-थलग करने की अपनी वर्षों पुरानी नीति में अमेरिका के बदलाव लाने के बीच के लॉग यूक्रेन का दौरा कर रहे हैं। सऊदी अरब में शीर्ष अमेरिकी और रूसी राजनयिकों के बीच वार्ता हुई थी। इसमें यूक्रेन और उसके यूरोपीय समर्थकों को दरकिनार कर दिया गया था। ट्रंप की टिप्पणियों से यूक्रेनी अधिकारियों को परेशानी हो सकती है, जिन्होंने रूसी आक्रमण से लड़ने में यूरोपीय देशों से मदद करने का आग्रह किया है। रूसी सेना द्वारा यूक्रेन के पूर्वी क्षेत्रों में लगातार किए जा रहे हमले से यूक्रेनी सेना कमजोर हो रही है, जिसे धीरे-धीरे लेकिन लगातार 1,000 किलोमीटर की अग्रिम पंक्ति में कुछ मोर्चों पर पीछे धकेला जा रहा है।

गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप खुद को व्लादिमीर पुतिन का मित्र बताते रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि सऊदी अरब की मध्यस्थता के साथ कोई रास्ता निकाला जा सकता है। सऊदी की अमेरिका और रूस दोनों ही देशों से करीबी है। सऊदी अरब के रियाद में 4:30 घंटे चली बैठक में रूस-अमेरिका के विदेश मंत्रियों समेत अन्य नेता शामिल हुए थे। इस बैठक में दोनों देशों में सहमति बनी कि दोनों देश जल्द से जल्द अपने दूतावासों को चालू करेंगे। यहां स्टाफ की भर्ती करेंगे, ताकि दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति न बने। यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद दोनों देशों ने दूतावास से स्टाफ को निकाल दिया था। करीब तीन साल से दूतावास बंद पड़े थे।

अगर हम पुतिन, ट्रंप व जेलेंस्की के बयानों पर गौर करें तो पुतिन जेलेंस्की से बातचीत करने को तैयार हैँ। उन्होंने कहा है कि पहली बैठक का मकसद यूएस -रूस के बीच भरोसा बढ़ाना था। रूसी राष्ट्रपति ने बुधवार को कहा है कि वे यूक्रेन के साथ बातचीत करने को तैयार हैं और जंग रोकने के लिए किसी भी समझौते से यूक्रेन को बाहर नहीं रखा जाएगा। दरअसल मंगलवार को सऊदी अरब में हुई रूस और अमेरिका के बातचीत पर जेलेंस्की ने नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा कि बैठक में हमें न बुलाया जाना हैरान करने वाला है। इस पर पुतिन ने कहा कि रूस और अमेरिका के बीच भरोसा बढ़ाए बिना यूक्रेन युद्ध समेत कई मुद्दों का हल नहीं निकाला जा सकता है।

About reporter

Check Also

करीना कपूर जैसी बॉडी चाहिए तो अपनानी होंगी ये तीन आदतें, उनके ट्रेनर ने बताया फिटनेस सीक्रेट

WTC फाइनल 2025: लॉर्ड्स में इतिहास रचने उतरेंगी ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका की टीमें, पहली ...