Breaking News

‘हर फिल्म का काम समाज सुधार नहीं’, हाउसफुल 5 में महिलाओं के ऑब्जेक्टिफिकेशन पर रखी राय

डिजिटल से एक्सक्लूसिव बातचीत में एक्ट्रेस चित्रांगदा सिंह जो फिल्म में माया का किरदार निभा रही हैं, ने इन आलोचनाओं को लेकर खुलकर बात की। उन्होंने माना कि हर फिल्म की अपनी एक टोन और सेंसिबिलिटी होती है और हर तरह के सिनेमा को एक ही चश्मे से देखना सही नहीं है।

हर फिल्म की अपनी टोन होती है, एक ही नजर से जज करना गलत है
चित्रांगदा सिंह ने कहा, ‘मुझे लगता है हर फिल्म अलग सेंसिबिलिटी से बनती है। उसका ह्यूमर अलग होता है, टोन अलग होता है। चाहे डायलॉग्स हों या जोक्स। ‘जाने भी दो यारों’ भी है, ‘हेरा फेरी’ भी है… हर तरह की फिल्में बनती रही हैं।

ह्यूमर को समझने के लिए भी मैच्योरिटी चाहिए
चित्रांगदा ने इंटरनेशनल कंटेंट और क्लासिक फिल्मों का उदाहरण देते हुए कहा, ‘अगर आप ‘द बिग बैंग थ्योरी’ जैसे शोज देखें या स्टीव मार्टिन की क्लासिक फिल्में, वहां भी कई बार ऐसा ह्यूमर देखने को मिलता है। कॉमेडी में बहुत कुछ लाइटली लिया जाता है। जरूरी नहीं कि हर चीज को सीरियसली लिया जाए।’

इतने सारे रूल्स में ह्यूमर की गुंजाइश ही खत्म हो जाती है
चित्रांगदा मानती हैं कि आज के समय में फिल्ममेकर्स पर बहुत से सोशल पैरामीटर्स का प्रेशर होता है। इस बारे में उन्होंने कहा, ‘आजकल हर जगह यही दबाव होता है कि आप सोशली करेक्ट हों, पॉलिटिकली करेक्ट हों, जेंडर वाइज भी बायस न हों और मोरली भी सही हों। इतने सारे रूल्स में ह्यूमर की गुंजाइश ही खत्म हो जाती है।’

हर फिल्म का मकसद सोशल मैसेज देना नहीं होता
चित्रांगदा सिंह ये भी साफ करती हैं कि हर फिल्म का मकसद समाज को सोशल मैसेज देना नहीं होता। उनका कहा है, अक्षय कुमार की फिल्म ‘एयरलिफ्ट’, ‘पैडमैन’, ‘केसरी’ जैसी फिल्में हैं जो बहुत स्ट्राॅन्ग मैसेज देती हैं लेकिन हर फिल्म वैसी नहीं हो सकती। ‘हाउसफुल’ जैसी फिल्में एंटरटेनमेंट के लिए बनती हैं। हर सिनेमा को एक ही तरीके से जज करना सही नहीं है।’

About News Desk (P)

Check Also

उर्वशी रौतेला इस ब्रह्मांड की सबसे खूबसूरत लड़की हैं- जस्सी गिल

मुंबई। ग्लोबल सुपरस्टार उर्वशी रौतेला (Urvashi Rautela) अभूतपूर्व वैश्विक सुपरस्टार हैं और अब जस्सी गिल ...