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IMA ने प्रशासनिक कार्रवाई पर उठाए सवाल, जिम्मेदार चिकित्सकों तथा उनके परिवार को किया जाए होम क्वॉरेंटाइन

रायबरेली। आईएमए ने चिकित्सकों के प्रति प्रशासन के संवेदनहीन रवैये के प्रति गहरा आक्रोश है। आईएमए ने कहा की एक मामूली प्राइवेट पैथोलॉजी लैब की रिपोर्ट के आधार पर एक जागरूक व जिम्मेदार चिकित्सक को किस तरह प्रताड़ित किया गया। उसके संस्थान को सील कर दिया, मीडिया में उसे लालची, गैरजिम्मेदार, हत्यारा और भी लांछन लगाते हुए एफआईआर तक विभिन्न आपराधिक धाराओं में कर दी गयी।

बिना रिपोर्ट सरकारी लैब से कन्फर्म किये, क्या इतनी त्वरित दंडात्मक कार्यवाई उचित थी? इतनी जल्दी क्या थी। चिकित्सक एवं उसका परिवार जब क्वारंटाइन में सरकारी संरक्षण में ही मौजूद था तो क्यों नही पहले जांच की गई उसके बाद दंडात्मक कार्रवाई की जाती। जबकि डॉ. चंदेल की फाइनल रिपोर्ट लखनऊ से नेगेटिव आ चुकी है, प्रशासन का क्या रुख होगा? उनको और उनके परिवार को जिस मानसिक संताप का सामना करना पड़ा है उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा?

पूरा चिकित्सक समुदाय इस घटना से आहत है, ऐसे में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति नही होगी, इसका अगर शासन से लिखित आश्वासन नहीं मिला तो आईएमए अपना विरोध दर्ज करता रहेगा। ऐसे भययुक्त माहौल में सभी चिकित्सक अपनी सेवायें देने में असमर्थ महसूस कर रहे  हैं। संगठन ने  शासन से मांग की है की भारत सरकार द्वारा होम क्वॉरेंटाइन की गाइडलाइन के आलोक में जिम्मेदार चिकित्सकों तथा उनके परिवार के लिए होम क्वॉरेंटाइन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए । आईएमए के पदाधिकारियों में डा केपी वर्मा, मनीष त्रिवेदी ,मनीष चौहान,अजय श्रीवास्तव सहित सभी डाक्टरों में मीडिया  के सहयोग पर सभी का आभार जताया।

रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा 

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