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बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट जोरों पर 2022 तक लक्ष्य

नई दिल्‍ली। देश के पहले बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के चलते काम तेजी से किया जा रहा है। जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे की भारत यात्रा के दौरान पीएम मोदी की अगुवाई में इस बुलेट ट्रेन परियोजना की नींव रखी गई थी। बुलेट ट्रेन के लिए नये साल 2018 में समुद्र के अंदर भी सुरंग बनाने का काम शुरू हो जायेगा। समुद्र के अंदर लगभग 21 किलोमीटर बुलेट ट्रेन के लिए ट्रैक तैयार किया जायेगा। वर्ष 2022 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य है। अहमदाबाद और मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन चलाई जाने वाली यह परियोजना 508 किलोमीटर लंबी है। जिस पर लगभग 110000 करोड़ रुपये की लागत आने की संभावना है। इसमें लगभग 88000 करोड़ रुपये जापान की ओर से दिए जा रहे हैं। जिस पर केवल 0.1 प्रतिशत का नगण्य ब्याज दर अदा किया जायेगा। जिसे भारत 50 साल में चुकायेगा।
समु्द्र के अंदर मशीनों से होगा काम
नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अचल खरे ने बताया समुद्र के अंदर काम केवल हाई टाइड (ऊंची-ऊंची लहरें) के दौरान ही किया जा सकता है, क्योंकि समुद्र का आधार बहुत ही कीचड़ जैसा है। इसलिए काम केवल 4-5 घंटे ही हो पाता है। लोगों को इधर-उधर ले जाने वाली नाव के साथ सेंट्रल लाइन पर नियंत्रण बनाए रखना कठिन होता है। हालांकि, जापानी विशेषज्ञों ने इस पर नियंत्रण रखने के लिए हमें प्रशिक्षण दिया है। अचल खरे ने बताया हमने लगभग 250 मीटर के 66 जगह पर बोरहोल बनाये हैं। इन बोरहोल के बीच परतों का पता लगाने के लिए हमने जापान की कंपनी से उपकरण मिले हुए हैं। लगभग 21 किमी लंबी सुरंग में से 7 किमी समुद्र के नीचे होगी।
सुरक्षा को प्राथमिकता
भारत वर्ष 2022 तक जापान के सहयोग से इस प्रोजेक्ट के पूरा कर सकेगा। इसके बाद भारत भी दुनिया के उन हाई-स्पीड ट्रेन संचालन वाले देशों की लिस्ट में शामिल हो जायेगा। अभी तक जर्मनी,ऑस्ट्रिया,चाइना,फ्रांस,बेल्जियम,दक्षिण कोरिया,स्वीडन, ताइवान,तुर्की,यूनाइटेड किंगडम,अमेरिका और उज्बेकिस्तान भी शामिल है। भारत के बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में तकनीकी सहयोग के लिए जापान को चुनने के पीछे उसकी तकनीक और सुरक्षात्मक व्यवस्था को प्रमुखता दी गई है। वैसे भी जापान की बुलेट ट्रेन ज्यादा सुरक्षित मानी जाती हैं। जिसमें अब तक कोई दुघटना नहीं हुई है। हालांकि चीन सबसे बड़े हाई-स्पीड ट्रैक वाले नेटवर्क के साथ लगभग 22000 किलोमीटर में ट्रेन का संचालन करता है।

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